28 Jan. Vadodara: शौख मौज पुरे करने के लिए शायद ज़्यादा पैसों की ज़रुरत होती है, लेकिन ज़िंदगी में आनंद लेने के लिए इसकी कोई ज़रूरत नहीं होती। इसका एक उदाहरण है चेस और ताश का खेल। खेल के साथ-साथ पढ़ना, टीवी देखना, कसरत करना ये सब एक महत्त्व की प्रक्रिया हैं। और यही सब एक इंसान को चुस्त और शहरीरिक और मानसिक तंदुरस्त रखता है।
आजकल देखा जाए तो पढाई से लेकर खेल तक सब कुछ डिजिटल हो चूका है। आज जब कोई बिस्तर से उतरता है तो खेलने के लिए मैदान में जाने के बजाये सबसे पहले फ़ोन पर सोशल मीडिया चेक किया जाता है। मेरे ख्याल से देखा जाए तो अब दुनिया लाइक, कमेंट और शेयर तक सीमित रह गयी है। इस पर आपका क्या कहना है वो हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट कर ज़रूर बताएं। खैर, कभी आपने सोचा है की मैदान से जब उस उगते सूरज के साथ कसरत कर पसीना बहाते हैं, तो मन कितना शांत महसूस करता है। ठीक वैसे ही चैस और ताश यानी पत्तों का खेल दिमाग को तेज़ बनाने की क्षमता रखता है। लेकिन आजकल ये खेल लगता है की सिर्फ कहने के लिए रह गए हैं।
इंटरनेट पर chess.com नाम की एक साइट है और इसी नाम से एक एप है, जिसके 4 करोड़ से भी ज़्यादा यूज़र्स हैं। रोज़ाना की बात करें तो लगभग 1 से 2 लाख लोग खेलते हैं। उसमें पज़ल्स, सिखने के लिए वीडिओज़ और बहुत कुछ हैं। रजिस्टर करने पर एक रैंक मिलता है। अगर आप जीत ते हैं तो आपका रैंक बढ़ता है, और हारते हैं तो आपकी रैंक घटती है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के बदले, नेपाल, नॉर्वे या तो नाइजीरिया का कोई जीवित व्यक्ति भी आपकी तरह भूल कर सके, वैसे व्यक्ति के साथ खेलने की कोई बात बनें। ख़ास बात ये कि खेल पूरा होने के बाद आप अपनी गेम का एनालिसिस भी कर सकते हैं जो आपको बहुत कुछ सिखाएगी।
ताश यानी पत्तों का एक खेल होता है जिसे ब्रिज कहते हैं। इस खेल के लिए एक साइट भी है जिसका नाम bridgebase.com है। ये गेम भी आपका खूब मनोरंजन करेगी।
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