29-06-22
उदयपुर में मंगलवार को दर्जी कन्हैयालाल की दुकान पर रियाज मोहम्मद अत्तारी और उसका साथी कपड़े का नाप देने आते हैं। दर्जी उनका नाप भी लेता है और अचानक अत्तारी इस टेलर की गला रेत कर हत्या कर देता है। उसका साथी इसका वीडियो बनाता है। दोनों इस हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए वीडियो वायरल भी करते हैं। इस नृशंस हत्या के बाद भी उदयपुर पुलिस घटना के पांच घंटे तक अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
हैरत की बात यह है कि छह दिन पहले खुद को मिल रही धमकियों की शिकायत कन्हैयालाल ने पुलिस को भी की थी लेकिन पुलिस ने उसकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया। छह दिन तक डर के मारे उसने दुकान भी बंद रखी लेकिन पुलिस सोई रही। यह जंगलराज नहीं तो और क्या है?
वीडियो देखकर लगता नहीं कि कोई हिंदुस्तानी व्यक्ति चाहे वह किसी भी कौम का हो, ऐसी शर्मनाक हत्या को अंजाम दे सकता है। विचार कीजिए इस घटना के बाद कोई एक कौम का आदमी अमुक कौम के आदमी को अपनी दुकान में घुसने देगा? आखिर कोई कन्हैयालाल कब तक मरता रहेगा और क्यों? ऐसे कृत्यों से नफरत फैलती है और यह काम ही नफरत बोने के लिए किया गया है। दर्जी का दोष केवल यह था कि उसने नूपुर शर्मा के फोटो को DP बना लिया था।
नूपुर शर्मा जिसने दूसरी कौम के आराध्य के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। हैरत की बात यह है कि नूपुर शर्मा जब यह टिप्पणी करती हैं, हमारी व्यवस्था तब भी मूकदर्शक रहती है और बदले में जब नूपुर की हत्या की धमकी दी जाती है, हमारी व्यवस्था तब भी मूकदर्शक ही रहती है। यह कैसा दौर है? सरेआम एक दर्जी को दूसरी कौम के लोग धमकी देते हैं और पुलिस सब कुछ जानते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है।
जब घटना हो जाती है तो भाजपा और राजस्थान सरकार की ओर से एक- दूसरे पर आरोप लगाए जाते रहे। इस तरह की गंभीर घटनाओं पर आरोप- प्रत्यारोप से तो कम से कम बचना चाहिए। एक सरकार के तौर पर, एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर सबसे ज्यादा संयम की जरूरत है जो हर हाल में बरतना ही चाहिए। दरअसल, आज सोशल मीडिया पर जहर की जो फसल बोई जा रही है उस पर न तो सरकार का नियंत्रण है न समाज का।
कोई भी सिरफिरा किसी भी व्यक्ति या कौम के खिलाफ जहरीला वाक्य सोशल मीडिया पर डालता है और हम भीड़ के भीड़ उसके पक्ष या उसके खिलाफ वहां भिड़ पड़ते हैं। नफरत फैलती जाती है और फिर इस तरह की घटना होती है। यह घटना निश्चित तौर पर हिंदुस्तानी भाईचारे की भावना की निर्मम हत्या है। ऐसी घटनाओं का इरादा रखने वाले व्यक्ति के इरादे को बलपूर्वक कुचलना चाहिए, चाहे वह किसी भी कौम या समाज का क्यों न हो। आश्चर्यजनक यह भी है कि छोटे छोटे ट्वीट पर अंकुश लगाने वाली व्यवस्था तब कहां गई थी जब दर्जी का गला काटने और उसकी जिम्मेदारी लेने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था?
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