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May 6, 2024

क्या है WiFi Halo technology?

WiFi technology अब रोजमर्रा की जरूरत बन चुकी है और पब्लिक प्लेसेज के अलावा लोग अपने घरों में भी वाई फाई सेवाएं ले रहे हैं। इस टेक में लगातार सुधार हो रहे हैं | और अगला बड़ा बदलाव WiFi हालो (HaLow) के तौर पर देखने को मिल सकता है। नई टेक्नोलॉजी करीब 1 किलोमीटर तक का लॉन्ग-रेंज कनेक्शन बेहद कम पावर इस्तेमाल करते हुए देगी। वाई-फाई हालो को वाई-फाई सेवाएं देने वाली कंपनियों के World wide network Wi-Fi Alliance से सर्टिफिकेशन मिला है।।

आइए सबसे पहले जानते हैं, की यह Halo WiFi कैसे IoT यानी Internet of Things को बढ़ावा देगा।

आपको बता दें, WiFi Halo को इंटरनेट ऑफ थिंग्स Devices के बढ़ते इस्तेमाल और इससे जुड़ी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इंडस्ट्रीज और घरों में IoT ऐप्लिकेशंस बढ़ने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा डिवाइसेज का एकसाथ इंटरनेट से कनेक्ट रहना जरूरी है। वाई-फाई एलायंस कि मानें तो ऐसी जरूरतों के लिए वाई-फाई हालो एक सॉल्यूशन की तरह आया है और दूसरे मौजूदा सॉल्यूशंस की जगह ले सकता है।

चलिए अब जानते हैं की कैसे Wifi Halo मौजूदा वाई-फाई टेक से बेहतर है।

नई तरह के वाई-फाई के साथ पहले के मुकाबले पावर की बचत तो होगी ही, यूजर्स 1 किलोमीटर तक की रेंज के अंदर इससे डिवाइसेज कनेक्ट कर पाएंगे। साथ ही वाई फाई हालो को मौजूदा वाई-फाई प्रोटोकॉल्स और वाई-फाई डिवाइसेज के साथ काम करने के लिए तैयार किया गया है, जिससे कंपैटिबिलिटी से जुड़ी परेशानी ना आए। यह अच्छा पहलू है कि नए टेक पर अपग्रेड करने के लिए उन्हें किसी खास वाई-फाई कनेक्शन मेथड या टूल की जरूरत नहीं पडेगी।।

आआइए अंत में जानते हैं की कैसे काम करेगी वाई-फाई हालो टेक्नोलॉजी?

आसपास मौजूद जिस स्टैंडर्ड वाई-फाई का अभी आप इस्तेमाल करते हैं, वह ज्यादातर 2.4GHz से 5GHz | रेडियो फ्रीक्वेंसी रेंज के बीच काम करता है। इस फ्रीक्वेंसी के साथ बहुत कम समय में ज्यादा डाटा बड़े बैंडविद के साथ ट्रांसमिट किया जा सकता है। वहीं, वाई-फाई हालो सब-1GHz स्पेक्ट्रम में काम करता है। ऐसी लो-फ्रीक्वेंसी वेव के साथ लंबी वेवलेंथ मिल जाती है, यानी कि सिग्नल ज्यादा दूर तक ट्रैवल कर सकता है।