Adhir Ranjan Chowdhury: 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के परिणाम देखकर लोगों ने कहीं न कहीं बदलाव की आग नजर आ रही है। जहां भाजपा 400 सीटों के नारे लगा रही थी वो 300 पार तक नहीं कर पाई वहीं INDIA अपनी सरकार बनाने की बात कर रही थी वो भी लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई ऐसे में कई सीटें हैं जहां से भाजपा ने अच्छी खासी जीत दर्ज की है उनमें से एक है पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट जहां से पूर्व क्रिकेटर और भाजपा उम्मीदवार यूसूफ पठान ने कांग्रेस उम्मीदवार अधीर रंजन चौधरी को करारी टक्कर दी है। इस पर अब 5 बार के सांसद चौधरी की प्रतिक्रिया सामने आई है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और 5 बार के सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने अपने राजनीतिक (Political) भविष्य को लेकर आशंका व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि अब मेरा राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। एक बंगाली टीवी चैनल से बात चीत के दौरान अधीर रंजन ने कहा कि उन्हें इस बात की भी आशंका है कि उनका कठिन समय आने वाला है। उन्होंने कहा कि इस सरकार (TMC) से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के सोर्स की उपेक्षा की है। मैं खुद को BPL सांसद कहता हूं। राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और हुनर नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाएगा।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह जल्द ही अपना सांसद आवास खाली करने के लिए दिल्ली जाएंगे। उन्होंने कहा, मेरी बेटी फिलहाल पढ़ाई कर रही है और कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए दिल्ली जाती है। मुझे वहां एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है।
अधीर रंजन ने कहा कि बहरामपुर में प्रचार करने के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का फैसला है और इस बारे में उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी है। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मुर्शिदाबाद पहुंची तो हमने उसमें हिस्सा लिया। हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरामपुर कभी नहीं आए। यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है।
गौरतलब है कि बहरामपुर लोकसभा सीट से TMC कैंडिडेट यूसुफ पठान ने जीत हासिल की है, जबकि अधीर रंजन चौधरी 85,022 वोटों से चुनाव हार गए। एक ओर जहां यूसुफ पठान को 5,24,516 वोट मिले तो वहीं अधीर रंजन को 439494 वोट मिले। अधीर रंजन चौधरी की हार के साथ ही कांग्रेस ने बहरामपुर पर अपनी राजनीतिक पकड़ खो दी है, जो बंगाल के अंतिम बचे कांग्रेस के गढ़ों में से एक था। कांग्रेस ने बंगाल में केवल एक मालदा दक्षिण सीट पर ही जीत हासिल की है।
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