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Tuesday, November 26   4:12:09

आज ही के दिन खिंची भारत-पाक बंटवारे की लकीर, रेडक्लिफ लाइन की कहानी

15 अगस्‍त 1947 को आजादी मिलने के बाद अब बारी थी भारत और पाकिस्‍तान के बीच देश को बांटने की। आजादी मिलने के दो दिन बाद विश्‍व के मानचित्र पर भारत का कुछ हिस्‍सा काटकर एक अलग देश बना दिया गया पाकिस्‍तान। ब्रिटिश वकील सर साइरिल रेडक्लिफ ने दोनों देशों के बीच विभाजन की रेखा खींच दी। आइए जानते हैं इस विभाजन से जुड़े अन्‍य खास पहलू

इसलिए खींची गई थी विभाजन की रेखा

रेडक्लिफ लाइन को खींचने की आवश्‍यकता इसलिए पड़ी ताकि मुस्लिम बाहुल्‍य वाले क्षेत्र से पाकिस्‍तान बनाया जा सके और हिंदू व सिख बाहुल्‍य वाली आबादी के क्षेत्र से हिंदुस्‍तान बनाया जा सके।

लाहौर चला गया पाकिस्‍तान में

किसी ने सोचा नहीं था कि पंजाब के टुकड़े होंगे और लाहौर पाकिस्‍तान में चला जाएगा। उस वक्‍त लाहौर में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहा करती थी। फैसले के बारे में पता चलते ही सभी ने अपना बोरिया बिस्‍तर बांधना शुरू कर दिया। अविभाजित भारत की 1947 में आबादी 39 करोड़ थी और विभाजन के बाद 33 करोड़ लोग भारत में , 3 करोड़ पश्चिमी पाकिस्तान में और 3 करोड़ पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश ) में गए।

अंग्रेजी सेना को भेज दिया गया वापस

एक बार सीमा तय हो जाने के बाद लग 1.5 करोड़ लोगों को एक तरफ से दूसरी तरफ जाना था। माउंटबेटन को पता था कि ऐसी परिस्थिति में दंगे भड़क सकते हैं। इसलिए उसने अपनी आधी से ज्‍यादा सेना को वापस इंग्‍लैंड भेज दिया। आंकड़ों के अनुसार करीब 72 लाख लोग भारत से पाकिस्‍तान से आए और 72 लाख पाकिस्‍तान से भारत आए। इनमें से अधिकतर हिंदू और सिख समुदाय के थे।

माउंटबेटन ने छिपाई थी असलियत

कहा जाता है कि उस वक्‍त हुए नरसंहार में करीब 8 लाख लोगों की जानें गईं थीं, लेकिन माउंटबेटन ने यह आंकड़ा कम करके बताया। ताकि उनको जिम्‍मेदार न ठहराया जाए। बताते हैं कि उस वक्‍त करीब 10 किमी लंबी लाइन में लोग इस देश से उस देश की ओर जा रहे थे। सरकार खाने के पैकेट हवाई जहाज से गिरा रही थी, लेकिन लोगों की संख्‍या इतनी अधिक थी कि सबको खाना नहीं मिल पा रहा था। इनमें से कुछ लोगों ने तो खाने के अभाव में रास्‍ते ही दम तोड़ दिया।

सरकार ने चलाई थी रेल सेवा

उस समय सरकार ने एक रेल अंबाला से लेकर अमृतसर तक चलाई थी जिसमें लाखों लोग एक तरफ से दूसरी तरफ आए थे। कुछ विद्रोही ट्रेनों में घुस-घुस लोगों की हत्‍या कर रहे थे, लूटपाट कर रहे थे। महिलाओं के साथ बलात्‍कार हो रहे थे। सीमा के दोनों ओर शरणार्थी शिविर लगाए गए थे। कुरुक्षेत्र के निकट सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर लगा था जिसमें लगभग 35000 शरणार्थी रुके थे। फिर धीरे-धीरे सरकार ने इन रिफ्यूजियों के लिए पक्‍के घर और कामधंधा शुरू करवाया।

स्‍वतंत्र रियासतें

विभाजन से पहले भारत का 40 फीसदी भाग स्‍वतंत्र रियासतों से भरा हुआ था जो ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं थीं। इस वजह से इन रियासतों के राजाओं को यह तय करना था कि वह भारत के साथ जाएंगे या फिर पाकिस्‍तान के साथ या फिर अकेले ही रहेंगे। केवल कुछ एक को छोड़कर अधिकांश रियासतें या पाकिस्‍तान में शामिल हो गईं या फिर भारत में।

ऐसे हुआ जम्‍मू-कश्‍मीर का विलय

अब जम्‍मू-कश्‍मीर ही बचा था। उस समय वहां के राजा थे हरी सिंह। आजादी के तुरंत बाद 22 अक्‍टूबर 1947 को पाकिस्‍तान ने हमला बोल दिया। मगर जम्‍मू-कश्‍मीर ने सेना के अभाव में भारत से मदद मांगी तो उस वक्‍त गृह मंत्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने पहले तो इनकार कर दिया। फिर भारत में विलय हो जाने की शर्त पर उनकी सहायता की गई और उसके बाद जम्‍मू-कश्‍मीर का भारत में विल हो गया।

ऐसे बना विवादित क्षेत्र

जम्‍मू कश्‍मीर के भारत में विलय होते ही पटेल ने अपनी सेना जम्‍मू-कश्‍मीर की सीमा पर भेज दी। भारतीय सेना ने पाकिस्‍तानी सेना को लाहौर तक खदेड़ दिया। उसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने बिना पटेल की सलाह के युद्ध विराम की घोषणा कर दी और पाकिस्तान पर कब्जा किए प्रदेशों को वापस लौटाने को कहा। इस तरह भारत ने पाकिस्तान के प्रदेशों पर कब्जा करने का मौका गंवा दिया था लेकिन जम्मू-कश्मीर भारत में विलय हो गया था। जम्मू-कश्मीर तो भारत में विलय हो गया था लेकिन जम्मू कश्मीर का उत्तरी भाग एक विवादित क्षेत्र बन गया था जिस पर सयुंक्त राष्ट्र संघ का शासन लग गया और आज भी वह हिस्‍सा विवादित है।