JAMA और BMJ में प्रकाशित एक अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद डिप्रेशन से जूझती हैं, उनमें 18 साल तक खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या करने का खतरा बढ़ जाता है। इस शोध में 2001 से 2017 तक लगभग दस लाख महिलाओं का विश्लेषण किया गया। जिसमें डिप्रेशन से जूझ रही 86,551 महिलाओं की तुलना 8,65,510 सामान्य गर्भवती महिलाओं से की गई।
हालाँकि आत्महत्याओं की संख्या कम थी, लेकिन गर्भावस्था के डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं की बड़ी भागीदारी थी। इन महिलाओं में आत्महत्या की दर 28.5% थी, जबकि अन्य गर्भवती महिलाओं में यह दर 7.5% थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था से संबंधित डिप्रेशन अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों से अलग और ज्यादा गंभीर हो सकता है। इलाज नहीं मिलने वाली महिलाओं में खुद को नुकसान पहुंचाने की संभावना 3 गुना और आत्महत्या करने की संभावना 6 गुना अधिक होती है।
पहली बार मां बनने वाली महिलाओं में अधिक जोखिम
गर्भावस्था से संबंधित डिप्रेशन से जूझ रही महिलाओं की औसत जीवन प्रत्याशा 31 वर्ष थी। ज्यादातर महिलाएं पहली बार मां बनी थीं। शोध से पता चला है कि डिप्रेशन से पीड़ित 10 से 20 प्रतिशत महिलाओं को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।
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