हम सब यह जानते हैं कि हर 4 साल में एक बार फरवरी के महींने में 28 नहीं बल्कि 29 दिन आते हैं। और 29 दिन वाले फरवरी के साल को Leap Year कहा जाता है। 29 फरवरी को leap day के नाम से जाना जाता है। लेकिन, क्या आपको पता हैं कि ऐसा क्यों होता है? क्यों हर चार साल में फरवरी के महीने में 29 दिन आते हैं ?
इसका सीधा लेना देना ग्रेगोरियन कैलेंडर से है। हम जो कैलेंडर फॉलो करते हैं वह असल में ग्रेगोरियन कैलेंडर है। और इस एक दिन एक्स्ट्रा होने का रहस्य पृथ्वी और सूर्य से जुड़ा है। पृथ्वी को सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड का समय लगता है। लेकिन, ग्रिगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल में 365 दिन ही करने थे। इसलिए हर चार साल में फरवरी के महीने में 1 दिन जोड़ दिया जाता गया। सोलर ईयर और कैलेंडर ईयर के दिनों को बैलेंस करने के लिए 4 सालों तक हर साल 6 घंटे जोड़े जाते हैं। इसलिए चार साल में एक बार लीप ईयर आता है।
आपको बता दें कि ग्रेगोरियन कैलेंडर आने से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर इस्तेमाल होता था जिसमें एक साल में सिर्फ 10 महीने ही थे। और इस कैलेंडर में क्रिसमस भी एक निर्धारित दिन पर नहीं आता था। क्रिसमस का एक दिन तय करने के लिए 15 अक्टूबर 1582 को अमेरिका के एलॉयसिस लिलिअस ने ग्रिगोरियन कैलेंडर शुरू किया था। लेकिन, जब यह पता चला कि पृथ्वी को सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन और लगभग 6 घंटे का समय लगता है, तब इसपर बहुत विवाद हुआ। काफी रिसर्च करने के बाद यह तय किया गया कि अगर हर 4 साल बाद 1 दिन साल में जोड़ दिया जाए, तो यह 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड के समय को पूरा कर देगा, जिससे 4 साल बाद 366 दिन होंगे, लेकिन बाकि के सालों में 365 दिन ही होंगे।
यदि हर चार साल में फरवरी में 29 दिन नहीं होते तो क्या होता?
अगर 29 February का दिन कभी होगा ही नहीं तो पृथ्वी का प्राकृतिक चक्र और हमारा कैलेंडर एक दूसरे के साथ तालमेल में नहीं रह पाएंगे। समय के साथ हमारा कैलेंडर कई दिन, महीने, साल आगे निकल जाएगा, जबकि पृथ्वी का चक्र पीछे रह जाएगा। इससे एस्ट्रोनॉमिकल, एस्ट्रोलॉजिकल, मौसम से लेकर हमारे जीवन की कई गतिविधियां प्रभावित होंगी।
More Stories
Maharashtra Assembly Election Result 2024: सीएम की कुर्सी एक दावेदार अनेक, गठबंधन की राजनीति में बढ़ते मतभेद
गौतम अडाणी पर गंभीर आरोप के बाद करोड़ों के कारोबार को बड़ा झटका, नेटवर्थ में भारी गिरावट
सूरत में खुला फर्जी अस्पताल का काला धंधा: बिना डिग्री के डॉक्टरों का खेल, प्रशासन की लापरवाही पर सवाल!