देश में बढ़ते शहरीकरण के कारण करोड़ों पक्षियों की दिल को छूने वाली चहचहाहट गाड़ियों और डीजे के शोर में दब गई है। शरीर और मन को ऑक्सीजन प्रदान करने वाले पेड़ कम हो गए हैं और इसके बजाय घटती ऑक्सीजन और बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के बीच सीमेंट कंक्रीट के बहुमंजिला जंगलों में रहना ही विकास माना जाता है। ऐसे में हर साल 20 मार्च को मनाया विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया जाता है।
लगभग पांच हजार साल पहले, मौर्य, कुषाण, गुप्त आदि साम्राज्यों के दौरान, भारत को पूरी दुनिया में सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। उस समय भारत बड़े पैमाने पर निर्यात करता था और बदले में चारों ओर से टनों सोना जमा करता था। आज स्थिति उलट है, सोने की कीमतें वैश्विक बाजार के हाथों में हैं और भारत की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी की पहुंच से बाहर हैं। केवल बहुत अमीरों के पास ही सोने के कुछ भंडार हैं, लेकिन चिड़िया हर जगह गिर रही है। भीड़भाड़ वाले शहरों में सुबह आपकी नींद चहचहाने की मधुर आवाज से नहीं, बल्कि गाड़ियों की तेज आवाज से खुलती है।
गौरैया एक ऐसी मानव हितैषी पक्षी है कि अगर घर के पास कोई पेड़ हो, पानी के दाम पर मिलने वाला मिट्टी का घड़ा और घोंसला रखा हो तो गौरैया के आने का मन करता है। मात्र 6 इंच आकार और औसतन 30-32 ग्राम वजन का यह छोटा सा पक्षी एक इंसान की तरह परिवार के साथ रहता है और बिना किसी को परेशान किए खुशी से चहचहाकर एक अच्छे गुरु की तरह जीवन का ज्ञान देता है।
दिवस एक त्यौहार है जो गौरेया के महत्व और उनके संरक्षण पर प्रकाश डालता है। गौरैया संरक्षण को बढ़ावा देकर और गौरैया के अनुकूल आवास बनाकर लोग इन छोटे पक्षियों के संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
विश्व गौरैया दिवस का इतिहास
विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत 2010 में नासिक, भारत के मोहम्मद दिलावर ने की थी। दिलावर ने “नेचर फॉरएवर सोसाइटी” (NFS) की स्थापना की, जो गौरैया की घटती आबादी को बचाने के लिए काम करती है।
गौरैया की आबादी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से घट रही है। इसके कई कारण हैं, जिनमें शहरीकरण, कीटनाशकों का उपयोग, और आवास का नुकसान शामिल हैं।
विश्व गौरैया दिवस का उद्देश्य लोगों को गौरैया की घटती आबादी के बारे में जागरूक करना और इस पक्षी को बचाने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।
विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर, लोग विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे कि:
- गौरैया के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करना।
- गौरैया के लिए भोजन और पानी के बर्तन लगाना।
- गौरैया के लिए घोंसले बनाना।
- पेड़ लगाना, जो गौरैया के लिए आवास प्रदान करते हैं।
विश्व गौरैया दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो हमें गौरैया के महत्व और इस पक्षी को बचाने की आवश्यकता के बारे में याद दिलाता है।
More Stories
IPL 2025 Auction: स्विंग का बादशाह बना सबसे महंगा खिलाड़ी, दिग्गजों के नाम रहे अनसोल्ड
हलधर नाग: जिन्होंने तीसरी के बाद छोड़ी पढ़ाई उनकी कविताओं पर हो रही PHD, अमर विरासत की कहानी
जब बारिश में भीगकर दिलीप साहब के घर पहुंचे नाना पाटेकर, दरवाजा खुला और फिर…