CATEGORIES

May 2024
MTWTFSS
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031 
May 9, 2024

अनंत बहती यह नदी अचानक कैसे हो गई गायब, क्या है इस नदी का रहस्य

सरस्वती नदी……भारत की सबसे पवित्र नदी जिसका स्थान गंगा नदी से भी ऊपर माना जाता है। आपने त्रिवेणी संगम के बारे में तो सुना ही होगा। त्रिवेणी संगम 3 नदियों के संगम को कहा जाता है। यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है। लेकिन, गंगा और यमुना तो हमें दिखती है, पर सरस्वती नहीं दिखती। क्या है इसकी वजह? क्यों लुप्त हो गई यह नदी?

गंगा और यमुना के पानी का लेवल दिन पर दिन कम होता जा रहा है। इतना ही नहीं, इन पवित्र नदियों का पानी भी प्रदूषित होता जा रहा है। ऐसे में भविष्य में इन नदियों के पानी का अपवित्र होने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। इसलिए अब वैज्ञानिक शुद्ध पानी के दूसरे स्त्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कारण एक बार फिर अचानक से सरस्वती नदी की खोज शुरू हो गई है।

ऋग्वेद में तक़रीबन 80 बार सरस्वती नदी का ज़िक्र आता है। माना जाता है कि यह नदी उत्तराखंड के माणा गाँव से बहती है और जाकर अलकनंदा में मिलती है। लेकिन, यह नदी आखिर लुप्त हुई कैसे?

कथाओं के अनुसार

पौराणिक कथाओं की मानें तो जब गणेशजी और महर्षि वेद व्यास जी महाभारत लिखने बैठे थे, तो वहां पास बहती सरस्वती नदी बहुत ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ करती बह रही थी। इससे गणेशजी को श्लोक नहीं सुनाई दे रहे थे। इसलिए व्यास जी ने सरस्वती को कहा था कि आप कुछ देर के लिए आवाज़ न करें। लेकिन, जब माँ सरस्वती ने उनकी बात नहीं मानी तो गणेशजी ने उन्हें एक भयानक श्राप दिया कि वह विलुप्त हो जाएंगी। और फिर यही हुआ। माता ने गणेशजी के इस श्राप को ग्रहण किया और कुछ ही सालों में वे विलुप्त हो गईं।

विलुप्त होने का वैज्ञानिक पहलु

लेकिंन, वैज्ञानिकों का कुछ और ही कहना है। उनके हिसाब से सरस्वती नदी तो बस एक ब्रह्म है, कहानी है। हालाँकि, हालही के रिसर्च से पता चला है कि राजस्थान के थार रेगिस्तान के नीचे एक गुप्त नदी बहती है। और गंगा और यमुना में भी एक नदी अंडरग्राउंड से बहती है। इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों को एक बड़ी नदी के बहने के सबूत भी मिले हैं। ISRO द्वारा एरियल व्यू लेने पर एक विशाल नदी के बहने का रास्ता मिला है। कहा जा सकता है कि इस राह पर एक समय पर सरस्वती नदी बहती होगी। यानी अब वैज्ञानिक भी सरस्वती नदी के अस्तित्व को स्वीकार रहे हैं।

बात करें इस नदी के विलुप्त होने के वैज्ञानिक कारण की तो हिमयुग के बाद, जिस क्षेत्र से होकर नदी बहती थी वहाँ कुछ विशाल ग्लेशियर थे। इन ग्लेशियरों से राजस्थान और कच्छ के रन के कई इलाकों में बाढ़ आ गई। समुद्री टेक्टोनिक गतिविधियों ने इन क्षेत्रों को जलमग्न कर दिया और मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि ये टेक्टोनिक गतिविधियाँ ही सरस्वती नदी को उसके उद्गम से अलग करने के लिए जिम्मेदार थीं। इसलिए, नदी सूख गई या उसका अस्तित्व समाप्त हो गया।

वैज्ञानिकों द्वारा कई बार खोज करने पर भी सरस्वती नदी नहीं मिल पाई। हालाँकि राजस्थान के एक इलाके में खुदाई करने पर पानी की एक धारा मिली। माना गया कि तब थोड़ा और खोदने पर सरस्वती मां भी मिल सकती है। लेकिन, कुछ समय बाद उनकी इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया। फिर 2015 में, हरियाणा की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने उन खेतों की खुदाई के लिए एक ‘सरस्वती कायाकल्प’ टीम का गठन किया, जहां कभी शक्तिशाली नदी बहती थी। और अच्छी किस्मत से उन्हें सात फीट पर पानी मिला। यह परियोजना पहली बार 2003 में शुरू की गई थी। लेकिन, फिर इसे स्थगित कर दिया गया और 2015 में फिर से शुरू किया गया।

आपको बता दें कि इतनी मेहनत करने के बाद भी आजतक सरस्वती नदी क्यों लुप्त हुई, या इसके बहने का एक निर्धारित रूट, या फिर इसके अंडरग्राउंड होने का सही कारण आजतक पता नहीं चल पाया। आज भी इस नदी की कहानी भारतवासियों के लिए एक रहस्य ही है। लेकिन, इस नदी का मिलना बहुत ज़रूरी है। इससे देश को एक साफ़, शुद्ध पानी का स्त्रोत मिलेगा और टूरिज्म इंडस्ट्री को भी फायदा होगा, जिससे इकॉनमी में भी सुधार आएगा।