13 April 2022
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते राज्यों को सलाह दी थी कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में बोला जाना चाहिए। उनके इस बयान पर गैर हिंदी भाषी राज्यों खासकर दक्षिण के राज्यों में हंगामा मच गया। यहां जानते हैं कि 50 साल में भाषाएं कैसे आगे बढ़ी…
देश में हिंदी कितनी व्यापक है?
हिंदी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। ये 52.8 करोड़ लोगों यानी देश की 43.6% आबादी की मातृभाषा है। भौगोलिक स्थिति में हिंदी जानने वाले देश के आधे से अधिक क्षेत्र को कवर करते हैं। करीब 13.9 करोड़ (11% से अधिक) ने हिंदी को दूसरी भाषा बताया। ये इसे 55% आबादी की मातृभाषा या दूसरी भाषा बनाती है।
क्या हिंदी हमेशा से इतनी व्यापक रही है?
हिंदी दशकों से प्रमुख मातृभाषा है। हर जनगणना में इसका हिस्सा बढ़ता रहा है। 1971 से 2011 के बीच, हिंदी भाषी 20.2 करोड़ से बढ़कर 52.8 करोड़ हो गए। यानी 40 साल में हिंदी वाले 161% बढ़े। बांग्ला 1971 में 8.17% लोगों के साथ दूसरी मातृभाषा थी। 2011 में इसकी संख्या मामूली घटकर 8.03% बची। हालांकि पंजाबी इस दौरान 2.57% से बढ़कर 2.74% हो गई।
हिंदी की संख्या बढ़ने की क्या वजह है?
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार सहित देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में हिंदी प्रमुख भाषा है। जनगणना में हिंदी के तहत 65 मातृ भाषाएं सूचीबद्ध है। इनमें भोजपुरी भी है, जो 5 करोड़ की मातृभाषा है। जनगणना ने तय किया है कि भोजपुरी हिंदी है। यदि हिंदी से अन्य भाषाओं को हटा दिया जाए, तो भी आंकड़ा 38 करोड़ रहेगा।
दक्षिण भारतीय भाषाएं कहां हैं?
हिंदी, बांग्ला के बाद तीसरे नंबर पर मराठी है। दक्षिण भारतीय भाषाओं में सबसे ऊपर तेलुगु है, ये 6.7% आबादी की भाषा है। तमिल को 5.7% लोग बोलते हैं। कन्नड़ 8वें नंबर पर 3.6% लोगों की भाषा है। 40 साल में मातृभाषा के रूप में कन्नड़ बोलने वाले 101%, तमिल-83.14%, तेलुगु- 81.26%, मलयालम बोलने वाले-58.8% लोग बढ़े।
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