असम विधानसभा के कर्मचारियों और राज्यसभा के मुस्लिम सांसदों को शुक्रवार के दिन नमाज के लिए मिलने वाले ब्रेक को खत्म कर दिया गया है। इस फैसले का स्वागत असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने किया है।पहले, कर्मचारियों को इस ब्रेक के दौरान जुम्मे की नमाज अदा करने की अनुमति थी। इसी तरह, राज्यसभा में भी मुस्लिम सांसदों को आधे घंटे का ब्रेक मिलता था, जो अब समाप्त कर दिया गया है।
असम विधानसभा में यह फैसला हाल ही में लिया गया है, जबकि राज्यसभा में यह बदलाव दिसंबर 2022 में किया गया था, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस नई व्यवस्था की घोषणा की थी।
असम विधानसभा और भारतीय संसद (राज्यसभा) में यह ब्रेक मिलता था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है।
असम के मुख्यमंत्री ने इस फैसले को उत्पादकता बढ़ाने और औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाने के प्रयास का हिस्सा बताया है। वहीं, राज्यसभा में यह फैसला लोकसभा और राज्यसभा के बीच समानता बनाए रखने के लिए लिया गया।
दिसंबर 2022 में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने घोषणा की थी कि अब राज्यसभा में शुक्रवार को भी 1 से 2 बजे तक ही लंच ब्रेक होगा, न कि 1 से 2:30 बजे तक, जैसा पहले होता था।
क्या आपको लगता है कि नमाज ब्रेक जैसी व्यवस्थाएं खत्म करने से सही दिशा में संदेश जा रहा है, या क्या हमें धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है?
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