CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 22   5:41:02

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि पर करें मां दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा

चैत्र नवरात्रि हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष शुरू होता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार नव वर्ष विक्रम संवत 2081 शुरू हो गया है। यानी चैत्र नवरात्री का पावन पर्व 9 अप्रैल 2024 से शुरू हो गया है। यह नवरात्री 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल को ख़त्म होगी।

नवरात्रि में पूरे 9 दिन माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन माँ के एक अलग रूप को समर्पित है। उनके यह नौ रूप है शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

हर रूप का अपना एक महत्व है, अपनी एक कहानी है। कई लोगों को लगता है कि पूरी नवरात्रि सिर्फ माँ अम्बा को पूजा जाता है। लेकिन वह माँ के इन 9 रूपों के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं। इस ब्लॉक में आज हम इन्हीं 9 रूपों की कहानी जानेंगे।

1. शैलपुत्री:
पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। शैलपुत्री हिमालय पर्वत की बेटी है। जब माता पारवती ने इस रूप में जनम लिया था तो उन्हें हिमालय की बेटी यानी शैलपुत्री के नाम से जाना जाने लगा। संस्कृत में शैल का मतलब होता है “पर्वत” . और इसलिए वह पर्वत की पुत्री है।

2. ब्रह्मचारिणी:
दुसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। वह देवी पार्वती द्वारा की गयी कठोर तपस्या का प्रतीक है। माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान, बुद्धि और तपस्या का प्रतीक है। मां दुर्गा को योगिनी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने तपस्या और ध्यान से ब्रह्मचर्य और विद्या को प्राप्त किया।

3. चंद्रघंटा
तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है। चंद्रघंटा को चन्द्रखण्डा, चंडिका और रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है। इनके 10 हाथ हैं और और उनके हाथों में तरह-तरह के हथियार हैं। चंद्रघंटा का मतलब होता है जिसके पास अर्धचन्द्राकार घंटा हो। माँ की तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है। मां दुर्गा को युद्ध के रूप में जाना जाता है। यह रूप उनके प्रेरणास्त्रोत के रूप में है, जो शत्रुओं को निर्मूलन करते हैं।

4. कुष्मांडा:
चौथे दिन माँ दुर्गा के कुष्मांडा रूप की पूजा की जाती है। इसमें मां दुर्गा को सृष्टिकर्ता के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में, वे सृष्टि की अधिकारिक हैं, जो जीवन के उत्पत्ति और संचालन का प्रतीक है। देवी शेर की सवारी करती हैं और उन्हें आठ हाथों में कमंडलु, धनुष, बाण, कमल, त्रिशूल, अमृत का घड़ा, चक्र पकड़े हुए दर्शाया गया है।

5. स्कंदमाता
पांचवे दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को स्कंद कुमार की माता के रूप में पूजा जाता है। माता पारवती के पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। और इसलिए कार्तिकेय की माँ होने के कारण वह ममता की देवी है। वह ममता को दर्शाती है।

6. कात्यायनी:
छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में पूजा जाता है। माँ कात्यायनी ने महिसासुर राक्षस का वध किया था। और इसलिए उन्हें महिसासुरमर्दिनी भी कहा जाता है।

7. कालरात्रि:
सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को भयंकर रूप में पूजा जाता है, जो शक्ति की शांति को नष्ट करते हैं। यह माँ दुर्गा का सबसे खतरनाक रूप है। इनकी सवारी एक गधा है, और उनके काले, घने, खुले बाल है। मान्यता के अनुसार पारवती ने अपनी सुन्दर, कोमल और सुनहरी चमड़ी को उतारा था और यह भयानक रूप धारण कर शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध किया था।

8. महागौरी:
आठवें दिन माँ दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। महागौरी रूप में मां दुर्गा को शुभ और सौम्य रूप में पूजा जाता है। महागौरी चंद्रमा चमकती रहती है। वह शुद्धता और शांति का प्रतीक है।

9. सिद्धिदात्री:
नौवें और आखरी दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है। इसमें मां दुर्गा को सभी सिद्धियों की देवी के रूप में पूजा जाता है। सिद्धिदात्री अपने भक्तों को ज्ञान प्रदान करती है।

तो यह हैं माँ दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन। नवरात्रि के दौरान भक्त माँ के इन रूपों की सही तरह से पूजा करके माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।