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मणिपुर दरिंदगी,नारी अस्मिता पर कुठाराघात कितना जायज़…???

24-07-2023

महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं जैसे आम होती जा रही है।मणिपुर की घटना ने जिस तरह समग्र देश को हिला कर रख दिया है वही पश्चिम बंगाल के मालदा में महिलाओं द्वारा ही महिला के कपड़े फाड़ने की घटना भी कम दुखदाई नही है।
पिछले करीब तीन महीनों से मणिपुर में हिंसा हिंसा का सिलसिला जारी है मणिपुर के पूर्वोत्तर राज्य मैतेई और कुकी समाज के बीच हिंसक घटनाएं निरंतर जारी है। रविवार को चुराचांदपुर के कंगबई में गोलीबारी और आगजनी की घटनाएं घटी।तंगदिली कम होने का नाम नहीं ले रही।अब तक 160 लोगों की मौत की खबर है,और कई घायल है।लेकिन कुकी समाज की महिलाओं के साथ हुए अत्याचार से आहत मन का इलाज कौन करेगा?
आदिकाल से ही किसी भी सामाजिक तनाव या युद्ध की स्थिति में विरोध पक्ष की महिलाओं की अस्मिता आहत कर निशाना बनाना और वर्चस्व को स्थापित करने की घटनाएं अक्सर देखी गई है।ऐसा ही कुछ मणिपुर में कुकी समाज की महिलाओं का सामूहिक बलात्कार और सड़को पर निर्वस्त्र घुमाने और ,जैसे कसर बाकी रह गई हो वैसे उस स्थिति में भी दरिंदगी नहीं थमी और उनके साथ अभद्र व्यवहार जारी रहा। भीड़ का वीडियो वायरल होने पर समग्र देश में हाहाकार मच गया।इस वीडियो ने इंसानी दिमाग में निहित विकृति को उजागर कर दिया।उन महिलाओं पर क्या गुजर रही है यह किसी ने नहीं सोचा।स्त्री को केवल उपभोग की वस्तु समझने वाले अपनी विकृति को ही सर्वस्व मानते है।उनके आहत हुए मन का इलाज कौन करेगा ?
यह यह उल्लेख करना जरूरी है कि प्लास्टिक के कवर में लिपटी युवती का वीडियो वायरल हुआ और अफवाह फैली कि कुकी समाज के लोगो ने मैतेई समाज की।महिला का बलात्कार किया ।बस मैतेई समक्ष के लोगो ने कुकी समाज पर हिंसक हमला किया।और तीन बेकुसूर महिलाओं की दुर्गत की। मणिपुर में चल रही हिंसा में अब तक 160 लोगों की मौत और सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है, पर स्थानीय तंत्र इसे रोकने में सफल नहीं हो रहा है।यह दुखद है।
इतना ही नहीं कई बार महिलाए ही महिलाओं की दुर्गत करने से बाज़ नहीं आती।अभी मणिपुर घटना की बर्बरता ,और हिंसा शांत नहीं हुई की पश्चिम बंगाल के मालदा में महिलाओं की भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में तथाकथित चोर महिलाओं के कपड़े फाड़े,और निर्वस्त्र कर खूब पिटाई की।क्रोध क्या क्या इंसान से करवा सकता है,ये बहुत ही हिंसक मिसालें है।यदि वे महिलाएं चोर थी तो उन्हे पुलिस के हवाले भी किया जा सकता था,मारपीट की,ये भी शायद जायज हो पर निर्वस्त्र करना कहां तक उचित है?
इन घटनाओं को।लेकर नेता,अभिनेताओं ने रोष व्यक्त किया है।प्रधानमंत्री ने भी इस घटना को गलत ठहराया है।
बात है,हर स्थिति में माही को टारगेट करने की।शायद इसीको कलियुग कहते है।