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May 6, 2024
Child Psychologist Pubali Basu

अनुकुल वातावरण बच्चों के विकास के लिए जरूरी

(चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकोलॉजिस्ट पुबाली बासू)

कहा जाता है कि बच्चे मिट्टी का घड़ा होते हैं, उन्हें कम उम्र में जैसे ढाला जाता है उनमें वैसे ही संस्कार आते हैं। इन्हीं बच्चों को बचपन से ही अच्छे व्यवहार सिखाने के लिए VNM Foundation लगातार कोशिश कर रहा है। इसके माध्यम से अलग-अलग स्कूलों में जाकर उन्हें मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाने और उसके प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहा है।

इसी कड़ी में आज VNM Foundation ने चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट पुबाली बासू से मुलाकात कर उनका अभिप्राय जाना।

VNM Foundation के ‘पहल प्रोजेक्ट’ को लेकर वो कहते हैं कि हर बच्चे को स्कूल में समझदार साइकोलॉजी टीचरों की जरूरत है जो पर्यावरण के माध्यम से बच्चों को अच्छे व्यवहार सीखा सकें। आज हम जैसा टीवी में देखते हैं कि छोटे-छोटे बच्चे जिस तरह से नाच गा रहे हैं, उससे मैं खुश नहीं हूं। सभी मां-बाप को यह लगता है कि बच्चे अपनी उम्र के पहले ही सब प्रोपर तरीके से सीख जाए, यह बच्चे के लिए अच्छा नहीं है। जिस तरीके से बच्चा प्रकृति से सीखकर आगे बढ़ता है तो वह कभी नहीं भूलता। उन्हें हर काम अपने उम्र के हिसाब से ही सीखना चाहिए।

बच्चों की साइकोलॉजी को लेकर मैडम पुबाली कहते है कि हमारे पास पांच इंद्रिय है चक्षु, कर्ण, सुगंध, स्पर्श, स्वाद। इनमें जब दृष्टी और कर्ण का मेल होता है तो यहीं से दिमाग की सोच बढती है। जो बच्चा सुन नहीं पाता, कुछ भी करता है। ऐसी स्थिती में साइकोलॉजिस्ट और मां-बाप को समझना होगा कि वह ऐसा क्यों करता है?

उन्होंने VNM Foundation के प्रोजेक्ट ‘पहल’ की तारीफ करते हुए कहा, ‘मैं चाहती हूं की पहल और आगे बढ़े और बाकी की संस्थाएं भी आगे आए और ऐसे कार्य करे।’

पेरेंटिंग को लेकर पुबाली बासू कहते हैं कि आज कल के माता-पिता अपने बच्चों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। बच्चों को छोड़कर उनका ध्यान टीवी और फोन पर ज्यादा होता है। जब बच्चा सोफे पर कूंदकर ऊधम मचाता है तो उसे डाटकर शांत करा दिया जाता है। जब पैरेंट्स को बच्चों के साथ खेलना नहीं है, बात नहीं करनी है। तो उन्हें बच्चों के व्यवहार को लेकर शिकायत भी नहीं करनी चाहिए।

मैडम पुबाली कहते हैं कि मैं एक चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट हूं। मैं सभी को यहीं निवेदन करती हूं की सभी अपने बच्चों को प्रेम के साथ पाले। यह उनके लिए बहुत अच्छा होगा। जब भी बच्चे को एक अनुकूल वातावरण मिलता है और उसमें वो जो भी सीखता है, वो उसे बहुत आगे लेकर जाता है।