CATEGORIES

May 2024
MTWTFSS
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031 
May 3, 2024

रुक्मिणी देवी अरुंडेल (1904-1986) : भरतनाट्यम की उद्धारक और राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाली पहली महिला

हमारे देश मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसे कला से प्यार नहीं होगा। इनमें से एक कला है भरतनाट्यम नृत्य कला शैली जिसे सीखने और सिखाने वालों की कहीं भी कमी नहीं है। इस कला को दुनिया के शिखर पर पहुंचाने में जिस कलाकार का अहम योगदान है आज हम उनके बारे में कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं।

भरतनाट्यम की मशहूर मृत्यांगना रुक्मिणी देवी अरुंडेल का जन्म 29 फरवरी 1904 में मदुरई की ब्राम्हण परिवार में हुआ था। भरतनाट्यम की एक विधा जिसे साधीर के नाम से जाना जाता है इसे अंतरराष्ट्रीय लेवल तक पहुंचाने में प्रमुख श्रेय ईं. कृष्णा अय्यर और रुक्मणी देवी को ही जाता है।

रुक्मिणी देवी की ख्याती

रुक्मिणी देवी राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाली पहली महिला (1956) थी। उन्होंने भरतनाट्यम नृत्य शैली को दुनिया के शिखर पर ले गईं और उसमें से अश्लीलता को बाहर निकाला और इसे शुद्ध शास्त्रीय रूप दिया। इतना ही नहीं रुक्मिणी देवी ने जानवरों के लिए इच्छामृत्यु कानून शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (1962)। उनका नाम इंडिया टुडे की 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया गया है।

माना जाता है कि 1977 में उन्‍हें देश के पहले गैर कांग्रेसी पीएम मोरारजी देसाई ने राष्‍ट्रपति पद के लिए भी मनोनीत करने का विचार दिया था, लेकिन उन्‍होंने इस पद के लिए बड़ी ही विनम्रता से मना कर दिया था। उन्‍हें भारतीय नृत्‍य कला में अपने योगदान के लिए 1956 में पद्म भूषण और 1967 में संगीत नाटक एकेडमी की फेलोशिप से नवाजा गया था। 24 फरवरी 1986 को उनका निधन हो गया।