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मथुरा के फांसीघर में लटकाने की तैयारी

17 Feb. Vadodara: आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है,जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा।यूपी के मथुरा में स्थित इकलौते महिला फांसीघर में अमरोहा की रहने वाली शबनम को मौत की सजा दी जाएगी।हालांकि फांसी की तारीख अभी तय नहीं है।

अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है।लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फंदे पर लटकाया जाएगा। मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था,लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई। वहीं अब डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी।

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1870 में बना था मथुरा जेल में फांसी घर

महिलाओं को फांसी के लिए मथुरा जेल में 1870 में फांसी घर बनाया गया था। लेकिन आजादी के बाद से इस फांसी घर में किसी को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। सालों से बंद पड़े फांसी घर की मरम्मत के लिए जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। हालांकि, उन्होंने शबनम को फांसी दिए जाने की जानकारी से इनकार किया। कहा कि फांसी घर की स्थिति खराब थी, इसलिए उसकी मरम्मत के लिए पत्र लिखा गया।

कौन है पवन जल्लाद जो देने वाला है शबनम को फांसी

पवन जल्लाद ने बताया कि वह 6 माह पहले मथुरा जेल गया था। वह काफी खराब हालत में था। जिस तख्ते पर खड़ाकर दोषी को फांसी को दी जाती है, वह टूट चुका था। अब उसे बदलवा दिया गया है। लीवर भी जाम हो चुका था। वह भी ठीक हो चुका है। मेरठ के जेल अधीक्षक डॉक्टर बीबी पांडेय बताया कि मथुरा जेल से जैसे ही पवन जल्लाद को बुलावा आएगा, उसे भेज देंगे।

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जेल में सजा काट रही शबनम ने दिया था बेटे को जन्म

जेल में सजा भुगत रही शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रहा था। 15 जुलाई 2015 में उसका बेटा जेल से बाहर आया, इसके बाद शबनम ने बेटे को उस्मान सैफी और उसकी पत्नी को सौंप दिया था। उस्मान शबनम का करीबी दोस्त है, जो बुलंदशहर में पत्रकार है।

शबनम ने उस्मान को बेटा सौंपने से पहले दो शर्तें रखी थी कि उसके बेटे को कभी भी उसके गांव में न ले जाया जाए, क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा है और दूसरी शर्त ये थी कि बेटे का नाम बदल दिया जाए।

क्या था पूरा मामला… क्यों दी सबनम को फांसी की सजा

अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की निवासी शबनम ने 15 अप्रैल 2008 को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश कर दिया गया था और इसके बाद अर्श को छोड़कर अन्य को कुल्हाड़ी से काट डाला था। शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसे मारा था। जांच के दौरान पता चला था कि शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवारवाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम से मिलकर पूरे परिवार को मौत के घात उतार दिया था।