गुजरात के भावनगर जिले में महुवा पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने व्हेल मछली की कीमती उल्टी, जिसे एम्बरग्रीस कहा जाता है, का 12 किलोग्राम का जखीरा बरामद किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 12 करोड़ रुपये आंकी गई है।
दरअसल महुवा पुलिस स्टेशन की टीम गश्त पर थी, जब उन्हें खबर मिली कि महुवा के भवानीनगर इलाके में स्थित श्री चामुंडा ड्राईवर्क्स नामक एक गोदाम में एमबरग्रीस छिपाकर रखा गया है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जयदीप मगनभाई सियाल और रामजीभाई राहाभाई सियाल नाम के दो आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया।
क्या है एम्बरग्रीस ?
व्हेल मछली की उल्टी के रूप में पहचाने जाने वाला एम्बरग्रीस, व्हेल के आंतों में बनने वाला मोम जैसा पदार्थ है। यह एक बेहद कीमती और दुर्लभ सामग्री है, जिसका उपयोग महंगे परफ्यूम बनाने और चीनी दवाओं में किया जाता है। इसे ‘समुद्र का खजाना’ और ‘तैरता हुआ सोना’ भी कहा जाता है। समुद्र में बहते हुए मिलने वाली इस वस्तु की अंतरराष्ट्रीय मांग बहुत ज्यादा है।
क्या है कानूनी स्थिति?
भारत में 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत व्हेल मछली संरक्षित प्रजातियों में आती है। इसलिए, एम्बरग्रीस रखना, बेचना, या इसका व्यापार करना पूरी तरह से अवैध है। इस वजह से इसे जब्त कर आरोपियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस ने जहां समय रहते कार्रवाई कर यह बड़ा जखीरा बरामद किया, वहीं वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि वन विभाग इस मामले में कोई कदम नहीं उठा सका, जबकि इस तरह की घटनाओं पर उसकी जिम्मेदारी होती है।
महुवा के एएसपी अंशुल जैन ने बताया, “एम्बरग्रीस जैसे पदार्थ की तस्करी के मामले दुर्लभ लेकिन गंभीर होते हैं। हमने इसे बरामद कर आरोपियों को हिरासत में लिया है। आगे की जांच जारी है।”
भावनगर में इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन की सतर्कता को उजागर किया है, बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा और इस अवैध व्यापार पर सख्ती से अंकुश लगाने की जरूरत पर भी जोर दिया है।
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