CATEGORIES

October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
Tuesday, October 22   3:36:06

राजकोट में छात्र की आत्महत्या: क्या शिक्षकों की निरंकुशता ने ली एक मासूम की जान?

गुजरात के राजकोट से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक छात्र की आत्महत्या ने भरवाड़ समाज में गहरे शोक और संवेदना की लहर पैदा कर दी है। दसवीं कक्षा के छात्र ध्रुवील भरवाड़ ने, जो एक स्थानीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, आत्मघाती कदम उठाने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपने शिक्षकों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

सुसाइड नोट में शिक्षकों के नाम

ध्रुवील के सुसाइड नोट ने कई शिक्षकों का नाम लिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह विद्यालय में मानसिक दबाव का सामना कर रहा था। इस दुखद घटना के बाद भरवाड़ समाज में रोष और असंतोष का माहौल है। समाज के अग्रणी सदस्य ध्रुवील के घर पहुंचकर शोक व्यक्त कर रहे हैं और शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

शिक्षकों की भूमिका पर सवाल

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे शिक्षा संस्थान वाकई में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं? क्या शिक्षक केवल पढ़ाने के लिए ही हैं, या उन्हें छात्रों के साथ एक मानवीय संबंध भी स्थापित करना चाहिए? ध्रुवील के मामले में स्पष्ट रूप से एक असहिष्णुता और निराशा की भावना थी, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

शिक्षा का उद्देश्य न केवल ज्ञान का संचार करना है, बल्कि एक सकारात्मक और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना भी है। इस प्रकार की घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि हमें अपने शिक्षा प्रणाली में गंभीर सुधार की आवश्यकता है। शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों की भावनाओं और मानसिक स्थिति को समझें, ताकि ऐसे दर्दनाक मामले दोबारा न हों।

ध्रुवील की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करती है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे बच्चे सुरक्षित और समर्थन प्राप्त वातावरण में पढ़ाई कर सकें, ताकि वे अपनी प्रतिभा को सही तरीके से विकसित कर सकें।