Agniveer: एक समय सेना में भर्ती होना देश के हर नौजवान का सपना होता था। पूरे साल सेना में जाने के लिए वह जी जान लगा देते थे। लेकिन, जब से सेना में अग्नीवीर योजना लागू की है, तब से युवाओं में सेना में भर्ती होने के प्रति रुझानों में कमी देखी जा रही है और यही वजह है कि इस बार चुनावों में भी देश के पार्टियों के एजेंडा में भी अग्नीवीर योजना शामिल थी। चुनाव के शुरुआत से लेकर अब तक इस मुद्दों पर बहस छिड़ी हुई है। इंडिया गठबंधन ने तो अग्नीवीर योजना को चुनावों का मुद्दा ही बना लिया था। यहीं वजह है कि राहुल गांधी अक्सर अपनी रैलियों में इस योजना को बेकार बताते हुए इसे खत्म करने की बात करते थे। हालांकि चुनावी मौसम में भाजपा इस योजना की अच्छाईयां भी गिना रही थी। इस बार के लोकसभा चुनावों में इस अग्नीवीर का मुद्दा काफी गर्म रहा और इसका असर चुनावों में भी दिखाई दिया। देश में हो रही इस योजना के बारे में चर्चा के बीच सेना भी इंटर्नल सर्वे कर रही है। जिससे पता लग सके की इस योजना में क्या सुधार किया जा सकता है।
इसे लेकर कई तरह के सवाल जवाब किए जा रहे हैं। साथ ही अलग अलग वर्गे से बात कर इस योजना की चुनौती और सफलताओं को समझने की कोशिश की जा रही है। साथ ही ये भी समझा जा रहा है कि युवाओं में सेना में शामिल होने को लेकर कितना उत्साह है। और क्या सच में वे देश की सेवा में विश्वास रखते हैं। उनके इस जस्बे को भी देखना सेना के लिहाज से जरूरी माना गया है। शुरुआत में ये योजना 4 साल के लिए है इसलिए सर्वे में ये भी रखा गया है कि चार साल पूरे होने के बाद अग्नीवीरों को क्या करना है। वे आगे भी सेना में रहना चाहते हैं या वे किसी और नौकरी में चले जाएंगे!
वैसे जब से ये अग्नीवीर योजना की शुरुआत हुई है तब से लेकर अब तक इसमें विवाद सेना में रहने के समय को लेकर हुआ है। जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत चार साल की अवधि के लिए अग्निवीरों की भर्ती सेना में की जा रही है। चार साल की सर्विस के बाद सैनिक के योग्यता और जरूरतों के हिसाब से 25% तक सैनिकों को ही नियमित किया जाएगा। इसके लिए सैनिकों को आवेदन करना होगा। लोग ये कहते हैं कि सेना में केवल चार साल जाने से क्या फायदा और चार साल बाद यदि उन्हें बाहर कर दिया गया तो वे क्या करेंगे कहां जाएंगे। और इसी सवाल को मुद्दा बनाकर इन चुनावों में विपक्ष नेताओं द्वारा पेश किया गया था।
एक रैली में राहुल गांधी ने ये तक कह दिया थाकि इन अग्नीवीरों को न शहीद की उपाधी मिलेगी, न पेंशन और न कैंटीन मिलेगी। उन्होंने कहा किये योजना सेना की योजना नहीं है। सेना इसे नहीं चाहती है।
इन तमाम कमियों और अच्छाईयों को देखते हुए यदि हम अब तक अग्नीवीरों में भर्ती हुए जवानों की बात करें तो अब तक 40000 अग्नीवीरों ने अपनी ट्रेनिंग पूरी की है। इस समय नेवी में 7 हजार तीन सौ पच्चासी अग्नीवीर है। वहीं वायुसेना में 4955 अग्नीवीर है। इसके बावजूद भी अभी तक इस योजना को लेकर असमजस्य का माहौल है इस वजह से सेना इस योजना पर सर्वे करा रही है। जिस वजह से वो इस योजना की चुनौतियों को अच्छी तरीके से समझ सके।
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