पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भी तालिबान की तरफदारी की। उन्होंने कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान की मदद करनी होगी। अफगानिस्तान को बाहर से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। हमारी ओर से अफगानिस्तान को मदद जारी रहेगी। इमरान ने यह भी कहा कि तालिबान को भी अपनी ओर से किए गए वादों को पूरा करना होगा।
पहले भी कई बार तालिबान के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर चुके इमरान खान ने एससीओ की 20 वीं बैठक में कहा कि अफगानिस्तान में मानवीय संकट को टालने के लिए वैश्विक स्तर पर मदद करनी होगी। तालिबान का बचाव करते हुए पाक पीएम ने कहा कि फिलहाल अफगानिस्तान की सरकार विदेशी मदद पर निर्भर है। शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान से पाकिस्तान के भी हित जुड़े हैं और इसके लिए हम काम करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में कोई बाहरी दखल नहीं होना चाहिए।
दोबारा संघर्ष भड़कने से रोकना होगा
इमरान खान ने अपने भाषण में यह भी कहा कि काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर काबिज होने के बाद नई सचाई सामने आई है। अब विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है कि वहां दोबारा संघर्ष न छिड़े और सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो। इसके साथ ही वह आतंकियों का पुन: सुरक्षित ठिकाना न बने, यह भी विश्व समुदाय को सुनिश्चित करना होगा।
मुद्राकोष ने भी दिया तालिबान को झटका
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है। उसके बाद से देश में अशांति बनी हुई है। ऐसे में अमेरिका ने अपने फेडरल बैंक में जमा अफगानिस्तान की नौ अरब डॉलर की पूंजी को फ्रीज कर दिया है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ ने अफगानिस्तान से संबंधों को खत्म कर लिया है। ऐसे में जब तक तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलेगी, तब तक उसके संसाधनों तक उसकी पहुंच नहीं होगी।
पीएम मोदी ने दिखाया कट्टरपंथियों को आईना
एससीओ की बैठक को शुक्रवार सुबह पीएम मोदी ने संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी है। क्षेत्र की समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता है। कट्टरपंथ ने चुनौती को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा एवं समावेशी संस्थानों और परंपराओं के बीच मजबूत सम्पर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।
More Stories
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, खत्म हुई ‘No Detention Policy’, जानें क्या हुए बदलाव
पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने वाली शूटर मनु भाकर को ‘खेल रत्न’ की लिस्ट से क्यों किया गया बाहर?
नालंदा की वो मस्जिद जिसकी देखभाल करते हैं हिंदू, सांप्रदायिक सद्भावना की अद्भुत मिसाल