क्या आपने नोटिस किया है कि छींकते वक्त हमारी आंखे बंद हो जाती है। छींक तेज हो या धीरे पर जैसे ही नांक पर चढ़ती है आंखें खुद ब खुद झपक जाती हैं। आपने कभी ये सोचा है कि ऐसा क्यों होता है।
दरअसल हमारी नांक का काम बस सांसे लेना या छोड़ना नहीं होता है, और भी बहुत सी जिम्मेदारी हैं इस छोटी सी नाक की। जब हम सांस लेते हैं तो हवा अंदर जाती है और लंग्स तक पहुंचती है। लेकिन, इस हवा में कई डस्ट पार्टिकल्स होते हैं जो यदि लंग्स तक पहुंच जाए तो नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ऐसे में इस नाक का काम हवा को फिल्टर करना और हवा को मॉड्युलेट करना होता है। मान लीजिए यदि बाहर की हवा बहुत ठंडी है तो उसे गर्म करना और यदि गर्म है तो उसे मॉड्यूलेट करके लंग्स तक पहुंचाना।
यदि नाक ये काम कर रही होती है और हवा में ऐसा पार्टिकल हो जो नाक के अंदर पहुंच कर उसे इरिटेट करे तो नाक उसे फिल्टर कर देती है। उसे बाहर निकालने के लिए भयंकर प्रेशर लगाती है। जिससे हमे छिंक आ जाती है।
छींक आना शरीर की एक आम प्रक्रिया है। जब हमें छींक आती है शरीर के बहुत से अंग ऐसे हैं जो कि एक्टिव हो जाते हैं। ट्राइजेमिनल नाम की नर्व की छींकने में खास भूमिक होती है। इसी नर्व के पास हमारे आंखे, मुंह और नाक का नियंत्रण होता है। इसलिए छींकने के दौरान इन तीनों अंगो पर तेजी से प्रेशर पड़ता है। जिसके कारण आंखे बंद हो जाती हैं।
छींकते समय हमारा चेस्ट खिंच जाता है और लंग्स में हवा भर जाती है और आपको भयानक छींक आती है। उस छींक में म्यूकस के हजारों ड्रोपलेट्स होते हैं।
इसके अलावा छींकते वक्त हमारे मुह से भी हवा बाहर निकलती है, जिसकी स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा। छींक आने पर आंखें बंद कर लेना हमारे बॉडी का रिफ्लेक्श ऐक्शन होता है।
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