CATEGORIES

May 2024
MTWTFSS
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031 
May 2, 2024

क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है यह पर्व

पवित्र स्कन्द पुराण में भी भगवान जगन्नाथ की इस पावन यथ यात्रा का महत्व बताया गया है। उसके अनुसार जो भी व्यक्ति हर वर्ष निकलने वाली इस जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होकर गुंडिचा नगर तक आता है, उसे अपने सभी पापों से मुक्ति तो मिलती ही हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात भगवान उसे मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद भी देते हैं।
इसके अतिरिक्त वो भक्त जो भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हुए, भगवान के रथ को नगर के दुर्गम रास्तों से होते हुए भ्रमण कराते हैं और रथ खींचते हैं, उन्हें भी भगवान मृत्यु के उपरांत विष्णुधाम प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
इसके अलावा मान्यता ये भी हैं कि, गुंडिचा मंडप में मुख्य रूप से दक्षिण दिशा से आते हुए रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करने पर, भक्तों को लंबी आयु के रूप में सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।
हालांकि हर वर्ष के आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाले जाने का भी विधान है। इस दौरान भगवान अपने रथ पर सवार होकर, सारा नगर भ्रमण करते हैं और भक्तों के बीच आकर उन्हें दर्शन देते हैं। इस यात्रा में तीन रथ तैयार किये जाते हैं, जिसमें से सबसे आगे भगवान के बड़े भाई बलराम जी का रथ होता है जिसे तालध्वज कहा जाता है, और उनके रथ का रंग लाल और हरा होता है। उसके पीछे भगवान की बहन सुभद्रा जी का रथ जिसे दर्पदलन या पद्म रथ कहा जाता है और इस रथ का रंग काले या नीले और लाल रंग का होता है। फिर अंत में सबसे पीछे भगवान श्रीकृष्ण के अवतार श्री जगन्नाथ जी का रथ चलता होता है और इस रथ को नंदी घोष के नाम से जाना जाता है, जिसका रंग लाल और पीला होता है।
हर साल देश-विदेश से लाखों लोग इस यात्रा में भाग लेने आते थे। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते धारा-144 लाग कर दी गई है। इस कारण केवल कोरोना के टीके लगवाए हुए और पूरे नियमों का पालन करने वाली पुजारी और पुरोहित इस यात्रा में हिस्सा बन पाए हैं।