इन दिनों हम चैत्र नवरात्रि मना रहे हैं। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के शक्ति स्वरूप, आध्यात्मिक शक्ति, सुख, समृद्धि की कामना हेतु उपासना और व्रत किया जाता है। वर्ष में आती चार नवरात्रि में दो गुप्त नवरात्रि भी है, इन गुप्त नवरात्रि को सामान्य गृहस्थ लोग क्यों नहीं मनाते हैं?
भारत देश ऋषि मुनियो और वेद पुराणों का देश है। यहां पर हर पर्व का अपना एक विशेष महत्व है। भारत में चार नवरात्रि मनाई जाती है, जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि कही जाती हैं। वर्ष में माघ, चैत्र,आषाढ़ और अश्विन इन चार महीनो में प्रतिपदा के दिन से नवरात्रि पर्व मनाया जाता है।चैत्र माह की वासंतिक नवरात्रि, और शरद ऋतु के प्रारंभ में मनाई जाती शारदीय नवरात्रि है। इन दोनों प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है ।और मां दुर्गा से शक्ति, सौम्यता, सुख,समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति के साथ कामना पूर्ति के लिए उपासना व्रत किए जाते हैं।
लेकिन गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना करने वाले लोग ही करते हैं । क्योंकि यह साधना गुप्त रूप से की जाती है, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, घूमावती,बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी की विशिष्ठ पूजा की जाती है। इसमें अघोरी, तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने के साथ ही मोक्ष की कामना के लिए पूजन करते हैं ।यह तंत्र साधना करने वाले व्यक्ति को विशेष फल प्रदान करती है। लेकिन यह साधना बहुत ही कठोर और अनेक देवी परीक्षाओं से सभर होती है।इन महाविद्याओं को सिद्ध करें आसान बिलकुल नहीं होता।सामान्य लोग इसे नहीं कर पाते।
वैसे भी आम गृहस्थ के लिए प्रत्यक्ष नवरात्रि ही मनाई जानी चाहिए। यह एक सात्विक साधना है।और इच्छित मनोकामना पूर्ण करती है।
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