अहमदाबाद के खोखरा इलाके में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति को तोड़े जाने के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल पैदा हो गया है। रविवार सुबह जब स्थानीय लोगों ने मूर्ति को क्षतिग्रस्त देखा, तो वहां भारी संख्या में लोग जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मूर्ति की नाक तोड़ी गई थी, जिसे लेकर स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती, वे सड़कों पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे।
घटना का विवरण
खोखरा स्थित शास्त्री कॉलेज के पास लगी डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति सुबह क्षतिग्रस्त मिली। स्थानीय लोगों ने जब यह देखा तो तुरंत इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस को सूचित किया गया और घटनास्थल पर तत्काल भारी पुलिस बल तैनात किया गया। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
प्रदर्शनकारी आरोपियों की गिरफ्तारी और उनका सार्वजनिक जुलूस निकालने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
पार्षद का आरोप और बयान
घटना को लेकर अमराईवाड़ी के पार्षद, जगदीश राठौड़ ने कहा कि यह घटना किसी असामाजिक तत्वों द्वारा जानबूझकर की गई है, जिसका उद्देश्य शहर की शांति को भंग करना था। उन्होंने बताया कि मूर्ति को तोड़ने का उद्देश्य सिर्फ अस्थिरता फैलाना था। पार्षद राठौड़ ने आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की और यह भी कहा कि जिस तरह से हाल ही में गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी के खिलाफ बदमाशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई, उसी तरह इन आरोपियों का भी सार्वजनिक रूप से मुंह काला कर जुलूस निकाला जाना चाहिए।
पुलिस और प्रशासन की अपील
घटना के बाद पुलिस ने क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किया है और स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। प्रशासन का कहना है कि वे आरोपी को पकड़ने के लिए तेजी से कार्रवाई करेंगे। पुलिस ने यह भी कहा कि स्थिति को काबू में करने के लिए इलाके की एक सड़क को बंद कर दिया गया है और ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है।
प्रतिक्रिया और समाज की जिम्मेदारी
यह घटना न केवल एक समुदाय के प्रतीक को नुकसान पहुंचाने वाली है, बल्कि यह समाज में बढ़ती असामाजिक गतिविधियों और शांति भंग करने की कोशिशों का भी संकेत देती है। हम सबको इस पर विचार करना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाओं से किसी भी समाज को कितना नुकसान होता है। सांप्रदायिक या जातिवादी उद्देश्यों से की जाने वाली हिंसा और उत्पात को हमें सख्ती से नकारना होगा।
इस घटना के बाद यह सवाल उठता है कि क्या हमारे समाज में असहिष्णुता बढ़ रही है? क्या हम अपने प्रतीकों और आस्थाओं का सम्मान करना भूल चुके हैं? ऐसे समय में हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए संयम बनाए रखना चाहिए और किसी भी असामाजिक तत्व की इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
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