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Sunday, September 29   6:23:42
Lata Mangeshkar

Lata Mangeshkar Birth Anniversary: पतली आवाज से पहले हुई रिजेक्ट, जानिए फिर कैसे बनीं सुरों की देवी

 

“लता दीदी” – यह नाम संगीत की दुनिया में शिखर का प्रतीक है। 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर, भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और अद्वितीय गायिका के रूप में प्रसिद्ध हुईं। उनका नाम सुनते ही संगीत प्रेमियों के कानों में उनकी मधुर और भावपूर्ण आवाज़ गूंज उठती है। लता मंगेशकर का जन्मदिन, न केवल उनके अविस्मरणीय योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि भारतीय संगीत और फिल्म जगत की उन अनगिनत यादों को भी ताजा करता है, जिनसे लता दीदी ने करोड़ों लोगों के दिलों को छुआ है।

संगीत की शुरुआत और संघर्षपूर्ण यात्रा

लता मंगेशकर का जन्म एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर, एक मराठी रंगमंच कलाकार और शास्त्रीय गायक थे। मात्र 5 साल की उम्र से लता ने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। जब लता सिर्फ 13 साल की थीं, उनके पिता का देहांत हो गया, जिससे परिवार की जिम्मेदारी लता पर आ गई। उन्होंने परिवार के लिए कमाना शुरू किया और यहीं से शुरू हुई उनकी संघर्ष की अनमोल यात्रा।

लता मंगेशकर का पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म “किटी हसाल” के लिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश उस गाने को फिल्म से हटा दिया गया। इसके बावजूद, उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ाया। 1949 में फिल्म “महल” के गीत “आयेगा आनेवाला” से उन्होंने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

लता मंगेशकर: सफलता और संगीत का सफर

लता मंगेशकर का संगीत करियर सात दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में 30,000 से ज्यादा गाने गाए। उनकी आवाज़ का जादू हिंदी सिनेमा तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि तमिल, मराठी, बांग्ला, गुजराती, और कई अन्य भाषाओं के संगीत प्रेमियों के दिलों में भी गहराई से बसा।

लता मंगेशकर की आवाज़ में वह दिव्यता थी जो सीधे दिल को छू जाती थी। उनका गाया हर गीत, चाहे वह रोमांटिक हो, भक्ति गीत हो, या देशभक्ति गीत, सभी में एक खास आत्मा थी। उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों में से कुछ हैं:

  • “लग जा गले” (वो कौन थी, 1964)
  • “तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं” (आंधी, 1975)
  • “ए मेरे वतन के लोगों” (1963)

लता मंगेशकर की आवाज़ ने हर दशक के संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वे संगीतकार नौशाद, मदन मोहन, एस.डी. बर्मन, आर.डी. बर्मन, शंकर-जयकिशन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे दिग्गजों के साथ काम कर चुकी हैं। उनकी आवाज़ में ऐसा जादू था कि हर संगीतकार उनके साथ काम करने का सपना देखता था।

पुरस्कार और सम्मान

लता मंगेशकर को भारत और दुनिया भर में संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो कि भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसके अलावा, उन्हें पद्म भूषण (1969), पद्म विभूषण (1999), दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1989) और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया।

इसके अलावा, लता मंगेशकर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हुआ, क्योंकि उन्होंने सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए थे।

लता मंगेशकर का संगीत और हमारी भावनाएं

लता मंगेशकर की आवाज़ केवल मनोरंजन नहीं थी, बल्कि यह दिलों की आवाज़ बन गई। उनके गीतों ने प्यार, दर्द, खुशी और आस्था को अभिव्यक्ति दी। जब लोग उदास होते हैं, तो उनके गीत उन्हें सांत्वना देते हैं, और जब खुशी के मौके होते हैं, तो उनके गीत जश्न को और रंगीन बना देते हैं।

उनकी सबसे यादगार प्रस्तुति में से एक है 1963 में भारत-चीन युद्ध के बाद दिल्ली के लाल किले पर “ए मेरे वतन के लोगों” गीत गाना। इस गीत ने न केवल देशवासियों के दिलों को छू लिया, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आँखों में भी आंसू भर दिए।

उनकी विरासत: आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा

लता मंगेशकर की आवाज़ भारतीय संगीत की धरोहर है, और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनका जीवन समर्पण, कड़ी मेहनत और संगीत के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक है। वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी, और उनकी आवाज़ सदियों तक गूंजती रहेगी।

आखिरी शब्द

लता मंगेशकर के जन्मदिन पर, हम सभी संगीत प्रेमियों के लिए यह अवसर है कि हम उनकी अद्वितीय कला को फिर से सराहें। वह न केवल भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला हैं, बल्कि एक ऐसे युग का प्रतीक हैं जिसने भारतीय संगीत को विश्व भर में एक नया मुकाम दिया।

उनकी आवाज़ अमर है, और वह हमारे दिलों में हमेशा बनी रहेंगी। लता मंगेशकर को सच्ची श्रद्धांजलि उनके गीतों को सुनकर और उनकी आवाज़ की गहराई को महसूस करके दी जा सकती है।

“आपकी आवाज़ के बिना ये जीवन अधूरा सा लगता है, लता दीदी।”