100 के करीब तकनीकी पेटेंट के धारक, telecom inventor, एक व्यवसायी, और साथ ही में, भारत के कंप्यूटर और आईटी क्रांति के जनक के नाम से जाने जाते, जिन्होंने प्राणधानमंत्री के सलाहकार के रूप में “Computerization” भारत में लाने में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मदद की थी।
“सैम पित्रोदा”
इनका जन्म 4 मई,1942 में भारत के ओडिशा राज्य के तितिलागढ़ में हुआ था।
एक नए भारत का निर्माण का सपना देखने वाले सैम पित्रोदा ने 1981 तक, भारत में, कंप्यूटर और स्वास्थ्य सेवा, तिलहन, दूरसंचार, दूध, आईटी, उद्योग और पशुपालन के क्षेत्र में बुनियादी जीत हासिल की और महत्वपूर्ण काम कर कई सारे लाभार्थियों को अपने साथ लेकर चलते गए जिसके बाद वो आज “भारत के कंप्यूटर और आईटी क्रांति के पिता” के नाम से जाने जाते हैं।
वह और उनका परिवार शुरुआत से ही गांधी जी के बनाए रास्तों पर चलता आ रहा है, जिसके चलते उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से की थी जिसके बाद वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविघालय से भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स डिग्री की थी।
जिसके बाद वे 1964 में अमेरिका चले गए थे जहा उन्होंने अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म की थी।
जिसके बाद 1981 में उन्होंने निर्णय लिया था की भारत की दूरसंचार प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए अब सिर्फ काम करेंगे। जिसके बाद उनके एक के बाद एक आधुनिक अविष्कारों की वजह से उन्हें 2009 में भारत सरकार की ओर से पद्मा भूषण से नवाज़ा गया था।
इसी के साथ ही, पित्रोदा वैश्विक डिजिटल विभाजन को बाटने में मदद करने के लिए एक प्रमुख प्रचारक रहे हैं।
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