The Art of Mindful Living: आज कल भागती दौड़ती दुनिया में संतुलन और आंतरिक शांति की तलाश करना एक चैलेंज बन गया है। हालांकि Mindful Living एक आर्ट है, जिससे हम शांति भरा जीवन जी सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि माइंडफुल जीवन जीने के क्या लाभ होते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे हम इसकी तलाश कर सकते हैं।
भागदौड़ वाली जिंदगी में आज हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमें कहीं न कहीं खुद को खो दिया है। काम, घर की जिम्मेदारी, ऑफिस वर्क ये सभी चीजों से हम तनावग्रस्त हो गए हैं।इसके कारण हम हर वक्त चिंता में डूबे होते हैं। हमने प्रेजेंट में जीना छोड़ दिया है। बहुत से लोग खुद को लगातार एक साथ कई काम करते हुए भविष्य के लिए योजना बनाते हैं। हर वक्त अतीत के बारे में ही सोचते हैं। इसकी वजह से वे धीरे-धीरे जीवन जीने की कला भूलते जा रहे हैं। आज का समाज केवल रोबोट बनकर रह गया है। इस व्यस्त जिंदगी में माइंडफूल लिविंग एक दवा का काम कर सकता है।
किसी भी चीज के बारे में जानने से पहले सबसे पहले हमें उसकी जड़ तक जाना होता है। इसलिए पहले ये समझते हैं कि आखिरकार माइंडफूल लिविंग होता क्या है?
माइंडफुल लिविंग एक प्रकार की प्रेक्टिस है, जिसमें बिना कोई निर्णय लिए केवल वर्तमान में अपना ध्यान लगाया जाता है। इसमें अपने विचारों, भावनाओं, शारीरिक संवेदनाओं और आसपास के वातावरण पर ध्यान देना शामिल है। माइंडफुलनेस आपको हर पल को खुलकर और जिज्ञासा के साथ जीने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इस आधार पर Mindful Living का अर्थ हुआ कि आज जो भी कर रहे हैं उसमें पूरी तरह डूब जाए, चाहे वह भोजन का स्वाद लेना हो या बाहर घूमना हो या किसी से बातचीत करना है। ये बढ़ी हुई जागरुकता है जो सामान्य अनुभवों को असाधारण में बदल सकती है।
माइंडफुलनेस को कुछ इस तरह से समझें
माइंडफुलनेस ध्यान का ही एक छोटा भाग है। इतना छोटा कि आपको इसके लिए केवल 5 मिनट ही चाहिए होते है। केवल ये पांच (Five minute meditation) मिनट अपने लिए हर रोज निकालें और ऐसे वक्त पर निकालें, जब आपका दिमाग पूरी तरह शांत (Peaceful Mind) हो । उस वक्त केवल अपने साथ बैठे। इसके लिए आप सोने से ठीक पहले या सुबह जागने के तुरंत बाद निकाल सकते हैं। क्योंकि देखा जाता है कि ये वहीं वक्त है जब हमारा दिमाग भागता नहीं बल्कि एकाग्रचित्त होता है।
कैसे करें माइंडफुल एक्सरसाइज
सबसे पहले आप शांत मन से पालथी लगाकर कमर सीधी करते हुए बैठ जाएं। अब धीरे धीरे सांस ले और अपनी आंखे बंद कर लें। अपना पूरा ध्यान अपनी सांसो पर केंद्रित करें। सांस भरते समय पेट अंदर करें और सांस छोड़ते वक्त पेट बाहर की ओर ले जाएं। इस दौरान खुद को शांत रखें और कोई हड़बड़ी ना करें। अपने आस-पास की हवा,ऊर्जा और आवाज का अनुभव करें। मन की आंखों से देखें की आसपास क्या घट रहा है।
माइंडफुल ईटिंग
माइंडफुल ईटिंग एक ऐसी प्रथा है जो आपको अपने भोजन का स्वाद चखने, रंग, बनावट और सुगंध पर पूरा ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसमें आपके शरीर की भूख और परिपूर्णता के संकेतों के प्रति सचेत रहना शामिल है।
भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोग भोजन करने में जल्दबाजी करते हैं या स्क्रीन के सामने बिना सोचे-समझे खाना खाते हैं। इससे ज्यादा खाने और आपके शरीर को पोषण देने के चांस बढ़ जाते हैं। माइंडफुल ईटिंग न केवल स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ाता है, बल्कि जीवन द्वारा प्रदान किए जाने वाले स्वादिस्ट पाक आनंद के प्रति सराहना को भी बढावा देता है।
माइंडफुल वॉकिंग एक प्रेक्टिस है जिसमें धीरे-धीरे और जानबूझकर चलना शामिल है। प्रत्येक कदम और आपके चलते वक्त आपके शरीर में होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान देना। यह प्रकृति से जुड़ने का सही तरीका है। इसे शुरू करने के लिए शांतिपूर्ण जगह ढूंढें।
माइंडफुल लीविंग के फायदे
-इससे तनाव और चिंता में कमी आती है।
-किसी भी काम को करने के लिए फोकस और एकाग्रता बढ़ती है।
-रोज प्रेक्टिस करने से आपके शारीरिक स्वास्थ्य में भी बदलाव आता है।
-गुस्से पर नियंत्रण रहता है।
-आपकी नींद बेहतर होती है।
-माइंडफुल लीविंग आपकी क्रिएटीविटी और प्रॉडक्टिविटी को बढ़ाता है।
-आप अधिक खुश रहते हैं।
-ऊर्जा का विकास होता है।
-यानी अब हर रोज माइंडफुल रहे और खुश रहे।
आपने गोलमाल 3 का वो डायलॉग तो सुना ही होगा अपना हर दिन ऐसे जीयो जैसे की आखरी हो। ये इसका सबसे सटीक उदाहरण है। चिंताएं तो सभी के जीवन में होती हैं लेकिन, हम उसका सामना कैसे करते हैं ये हमारी काबिलियत पर निर्भर करता है। Mindful Living हमें हमारे जीवन में हर परिस्थिती का सामना धैर्य के साथ करने का गुण सिखाता है। यदि आपको ये ब्लॉग पसंद आया हो तो नीचे कमंट बॉक्स में कमंट जरूर करें।
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