आज से गणेश उत्सव देश के हर अंचल में धूमधाम से मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर एक अनोखी परंपरा भी है, जिसे देश में कई स्थानों पर मनाया जाता है। दरअसल गणेश चतुर्थी के दिन ही पड़ोसी की छत पर पत्थर फेंकने की भी परंपरा है और इस कारण से ही इसे पत्थर चौथ भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म दोपहर के समय हुआ था और साथ ही यह भी माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए और यदि गलती से चंद्रमा के दर्शन हो भी जाए तो इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए पड़ोसी की छत पर पत्थर फेंकने की परंपरा है।
पत्थर फेंकने की परंपरा के पीछे ये है कहानी
पौराणिक मान्यता है कि एक बार गणपति बड़े आनंद के साथ मिष्ठान खा रहे थे, तभी वहां से चंद्रदेव गुजरे और गणेश को इस तरह मग्न होकर खाता देख चंद्रमा ने गणपति के पेट और सूंड का खूब मजाक उड़ाया और ठहाका लगाया। चंद्रमा के इस व्यवहार से भगवान गणेश क्रोधित हो गए और चंद्रमा को श्राप दे दिया कि तुम्हें अपने रूप का गुमान है इसलिए तुम अपना रूप खो दोगे, तुम्हारी सारी कलाएं खत्म हो जाएंगी और जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा उसे कलंकित होना पड़ेगा। यह घटना भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुई थी। बाद में चंद्रमा को अपनी गलती का अहसास हो गया माफी मांग कर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की।
चंद्रमा की तपस्या से खुश हुए भगवान गणेश
चंद्रमा ने घोर तपस्या कर भगवान गणेश को खुश कर दिया और फिर भगवान गणेश ने कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन इसे सीमित जरूर कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि चंद्रदेव की कलाएं माह के 15 दिन घटेंगी और 15 दिन बढ़ेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से कलंकित होने का श्राप लगेगा और इस दिन यदि कोई गलती से चंद्रमा के दर्शन कर ले तो उसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए दूसरे की छत पर 5 पत्थर फेंकने से वह श्राप मुक्त हो जाएगा।
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