विश्व की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने एक बड़ा ऐलान किया है। अब यह कंपनी डेंगू और मलेरिया की वैक्सीन बनाने के काम पर ज़ोर देगी। इन्होने कोरोना काल में कोरोना की वैक्सीन बनायीं थी।
कोरोनाकाल के दौरान कोरोना की वैक्सीन की मांग बहुत थी। उस वक़्त इस कंपनी ने कोरोना की वैक्सीन बनाने में अपनी पूरी ताकत झोक दी। हालाँकि अब जब कोरोना का आक्रमण कम हो गया है, तो वैक्सीन की मांग भी कम हो गई है। इसलिए अब वह कोविशील्ड वैक्सीन बनाने की अपनी क्षमता को एक नया रुख देगी। अब वह अपनी क्षमता का उपयोग मलेरिया और डेंगू की वैक्सीन्स बनाने में करेगी।
इस बारे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के CEO आदर पूनावाला ने कहा कि “कोरोना की वैक्सीन के बाद कंपनी मलेरिया और डेंगू की वैक्सीन बनाने पर ज़ोर देगी। अब अगर भविष्य में कोई बड़ी बीमारी आती है तो पूरे भारत को वैक्सीन लगाने में केवल 3 से 4 महीने लगेंगे। सीरम के पास 10 करोड़ मलेरिया वैक्सीन बनाने की क्षमता है। अभी केवल डेंगू की वैक्सीन का परिक्षण किया जा रहा है। कंपनी बड़े प्रकोप की स्थिति में कंपनी की विनिर्माण सुविधाओं का उपयोग करने के लिए अन्य देशों और सरकारों के साथ सौदे पर बातचीत कर रही है।”
हालाँकि, उन्होंने चर्चा के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी है। सूचनानुसार सीरम हर साल मलेरिया वैक्सीन की 100 मिलियन डोज बना सकती है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल मलेरिया की दूसरी वैक्सीन को मंज़ूरी दे दी थी। माना जा रहा है कि जब यह वैक्सीन मार्केट में आएगी तो इसकी किम्मत 166 से 332 रूपए के बीच होगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के साथ इस वैक्सीन के हर साल 10 करोड़ डोज़ बनाने के लिए समझौता किया है। यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया है तो उसे इस वैक्सीन के 4 डोज़ लेने होंगे।
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