Sushil Kumar Modi: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का कल यानी 13 मई 2024 को दुखद निधन हो गया। कैंसर से पीड़ित 72 वर्षीय सुशील मोदी ने रात लगभग 9 बजकर 45 मिनट पर नई दिल्ली के AIIMS में अंतिम सांसे ली। खबरों के अनुसार आज तकरीबन 6 बजे वरिष्ठ नेता का पटना में अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिसमें कई दिग्गज नेता और मशहूर हस्तियां शामिल होंगी।
उनके निधन के बाद हर कोई उनके राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर के बारे में जानना चाहता होगा। सभी के प्रश्नों को जवाब आज हम यहां देने वाले हैं।
सुशील कुमार मोदी की राजनीतिक शुरुआत जेपी आंदोलन से मानी जाती है। साल 1971 में सुशील मोदी को पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया। 1973 में उन्हें महामंत्री बना दिया गया। उस दौर में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और संयुक्त सचिव रविशंकर प्रसाद थे।
सुशील कुमार मोदी भाजपा के सिद्धांतकर और संघ विचारक रहे केएन गोविंदाचार्य को अपना गुरू मानते थे। उन्होंने एक न्यूज चैनल में दिए इंटरव्यू में एक बार कहा था कि ”मैंने सुशील मोदी को 1967 से देखा है। उस वक़्त भी आप उनके व्यक्तित्व को अलग से नौजवानों की भीड़ में चिह्नित कर सकते थे। सादगी, मितव्ययिता, किसी काम को बहुत केन्द्रित और अनुशासित होकर करना उनकी ख़ासियत थी।”
जेपी आदंलोन के चलते उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में एडमिशन लेकर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इतना ही नहीं इसी वजह से आपातकाल में उन्हें 19 महीने जेल में बिताने पड़े थे। 1977 से 1989 तक वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान रहे।
साल 1990 में सुशील कुमार मोदी ने पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे।
साल 1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते।
साल 2004 में उन्होंने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था।
साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने।
साल 2005 से 2013 और फिर 2017 से 2020 के दौरान उन्होंने बतौर उपमुख्यमंत्री अपनी भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने पार्टी में भी अपने अलग-अलग दायित्व संभाले।
दिसंबर, 2020 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा।
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