होली दहन, जिसे होलिका दहन भी कहा जाता है, होली त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली दहन पर लोग भगवान विष्णु और भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं। होलिका दहन इस पर 24 मार्च को भद्राकाल सुबह 9.55 से शुरू होकर रात 11.13 बजे तक रहेगा।
होली दहन पूजा की विधि:
1. सामग्री:
- लकड़ी के ढेर
- घास
- सूखे पत्ते
- गोबर के उपले
- नारियल
- गुड़
- चना
- गेहूं
- चावल
- रंग
- फूल
- अगरबत्ती
- दीपक
- जल
2. पूजा विधि:
- होली दहन के लिए एक खुली जगह चुनें।
- लकड़ी के ढेर को इकट्ठा करें और उस पर घास, सूखे पत्ते और गोबर के उपले रखें।
- नारियल को दो भागों में तोड़ लें।
- गुड़, चना, गेहूं, चावल और रंग को एक प्लेट में रखें।
- भगवान विष्णु और भगवती लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
- जल अर्पित करें।
- फूलों से मूर्तियों को सजाएं।
- निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
ॐ जय जय श्री राधे कृष्ण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः
3. होलिका दहन:
- जब पूजा पूरी हो जाए, तो होलिका दहन करें।
- लकड़ी के ढेर को आग लगाएं।
- सभी लोग आग के चारों ओर इकट्ठा हों और भगवान विष्णु और भगवती लक्ष्मी से प्रार्थना करें।
- लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं।
4. प्रसाद:
- पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें।
होली दहन पूजा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- पूजा करते समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा करते समय ध्यान केंद्रित करें।
- पूजा के बाद घर में रंगों का त्योहार मनाएं।
यह भी ध्यान रखें कि होली दहन करते समय सुरक्षा का ध्यान रखें।
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