12 अप्रैल 1895, यह वह दिन है जब भारत में वित्तीय स्वराज की नींव रखी गई थी। पंजाब नेशनल बैंक (PNB), जिसकी नींव लाला लाजपत राय के नेतृत्व में 1894 में रखी गई थी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वदेशी आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना। इस बैंक ने भारतीयों को वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का सपना दिखाया और उसे साकार किया।
लाहौर से हुई ऐतिहासिक शुरुआत
लाहौर में 12 अप्रैल 1895 को पंजाब नेशनल बैंक का उद्घाटन हुआ। इस मौके पर लाला लाजपत राय ने इस बैंक में पहला खाता खोला। यह बैंक न केवल आर्थिक लेन-देन का माध्यम था, बल्कि यह भारतीयों की स्वदेशी भावना और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी था। उस दौर में विदेशी बैंकों का दबदबा था, लेकिन PNB ने भारतीयों के बीच अपना विश्वास कायम किया।
स्वदेशी आंदोलन में अहम भूमिका
पंजाब नेशनल बैंक का गठन स्वदेशी आंदोलन की भावना से प्रेरित था। इसका उद्देश्य भारतीयों को विदेशी बैंकों की निर्भरता से मुक्त करना और भारतीय उद्योगों और व्यापार को मजबूत करना था। यह बैंक भारतीयों के लिए एक ऐसा मंच बना, जहां वे अपनी आर्थिक गतिविधियों को बिना किसी विदेशी हस्तक्षेप के संचालित कर सकते थे।
1947 में देश के विभाजन के दौरान, जब अनेक संस्थाएं संकट में थीं, PNB ने अपनी विश्वसनीयता को बरकरार रखा। लाहौर स्थित मुख्यालय को भारत में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन बैंक की सेवाओं में कोई बाधा नहीं आई। इस मुश्किल समय में PNB भारतीय नागरिकों के लिए आर्थिक सहारा बना।
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आज भी भारतीय बैंकिंग की अग्रणी संस्था
126 वर्षों की गौरवशाली यात्रा के साथ, आज पंजाब नेशनल बैंक भारत के सबसे प्रमुख और विश्वसनीय बैंकों में से एक है। इसकी देशभर में हजारों शाखाएं और करोड़ों ग्राहक हैं। बैंक ने डिजिटल बैंकिंग, कस्टमर सर्विस और आधुनिक तकनीकों में भी खुद को सफलतापूर्वक ढाला है।
लाला लाजपत राय के नेतृत्व और स्वदेशी भावना की प्रेरणा से शुरू हुआ यह बैंक आज भारतीय बैंकिंग सेक्टर का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल आर्थिक विकास का माध्यम है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक मजबूत स्तंभ भी है। पंजाब नेशनल बैंक सिर्फ एक बैंक नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी यात्रा का प्रतीक है।
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