गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोनावायरस की स्थिति और लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर मंगलवार को फिर एक बार राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कई सवाल पूछे और उनके जवाब मांगे।
गुजरात राज्य में 14 दिनों से लगातार मरीज दम तोड़ रहे हैं, अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस कतारों में खड़ी है।ऐसे में राज्य सरकार द्वारा क्या किया गया। प्रश्न कोर्ट द्वारा सरकार को पूछा गया।जिसके जवाब में सरकारी वकील कमल त्रिवेदी ने कहा कि लगातार मरीजों की संख्या दुगनी हो रही है और उसी के चलते मरीजों को एंबुलेंस में ही इलाज दीया जा रहा है।इस पर हाईकोर्ट ने तपाक से कहा कि मरीज़ कितने भी बढे, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराएं।
सरकारी वकील कमल त्रिवेदी की बातों पर हाईकोर्ट ने कहा कि आप कागजी बातें ना करें,ग्राउंड पर जा कर देखिए।लोग सिलेंडर रिफिलिंग के लिए दर-दर भटक रहे हैं।आंकड़ों पर सरकार बात ना हीं करें,सब साफ साफ दिखाई पड़ रहा है। हाईकोर्ट की बेंच ने यह भी सुझाव दिया कि गंभीर मरीजों को तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती किया जाना चाहिए, चाहे वो 108 से आए हो या निजी वाहनों से।मुख्य न्यायधीश विक्रम नाथ और न्यायधीश भार्गव कारिया की खंडपीठ ने यह भी कहा कि उन्हें रोजाना दर्जनों शिकायतें मिल रही है कि मरीजों को बिना देखे ही घर भेज दिया जा रहा है। कम से कम मरीज की स्थिति को देखकर सलाह और जरूरी दवाई तो देनी ही चाहिए।
इसके अलावा सरकार ने नागरिकों से भी अनुरोध किया कि बिना काम के बाहर ना निकले एक सप्ताह अगर कमाई नहीं करेंगे तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ जाएगा।लोगों को उनकी जिम्मेदारी समझनी ही होगी।
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