वडोदरा, 18 जनवरी 2024: वडोदरा के हर्णी तालाब में हुए बोट हादसे की पहली बरसी आज है, जब 18 जनवरी 2024 को न्यू सनराइज स्कूल के मासूम बच्चे और दो शिक्षिकअपनी जान गंवा बैठे थे। इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था, और आज भी हादसे में अपने प्रिय बच्चों को खोने वाले परिवार न्याय की तलाश में हैं।
हर्णी बोट कांड में अपने बच्चों को खोने वाले परिवारों का दर्द आज भी ताजे घाव की तरह महसूस हो रहा है। आज उन परिवारों ने इस घटना की पहली बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए न्यू सनराइज स्कूल के सामने एक शोकसभा आयोजित की, और हर्णी एयरपोर्ट से लेकर घटना स्थल तक मौन न्याय यात्रा भी निकाली।
कुल मिलाकर इस दुर्घटना में 12 बच्चे और दो शिक्षिकाओं की मौत हो गई थी। घटना के बाद से पीड़ित परिवार न केवल अपनी खोई हुई खुशियों को याद करते हैं, बल्कि वे अब भी भ्रष्टाचार और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ न्याय की उम्मीद लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्राकृतिक राहत, लेकिन तंत्र से न्याय की उम्मीद
हर्णी बोट कांड में अपनी बेटी अलीशा को खोने वाले कोठारी परिवार के लिए जीवन का सबसे कठिन समय रहा। हालांकि, 20 दिन पहले दूसरी बेटी के जन्म ने कुछ राहत दी है, लेकिन अब भी उनके दिल में उस दर्द का गम छुपा हुआ है। अलीशा के पिता उमरभाई कोठारी ने कहा, “कुंदा व्यवस्था की वजह से हमें न्याय नहीं मिला। हमारी बेटी की मृत्यु के बाद हमें दूसरा बच्चा मिला, लेकिन यह हमारी खोई हुई खुशी की भरपाई नहीं कर सकता।”
वहीं, मृतक रोशनी के पिता पंकजभाई शिंदे ने भी अपनी बेटी की यादें साझा की और कहा कि एक साल बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक नेता तो उन्हें सांतवना देने आते हैं, लेकिन न्याय का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
क्या हैं परिवारों की मुख्य मांगें?
मृतकों के परिजनों की मुख्य मांग है कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मिहिरभाई शेख, जो इस दुर्घटना में अपने बेटे को खो चुके हैं, ने कहा, “यह घटना पूरी तरह से मानवजनित थी, और हमें किसी भी प्रकार की न्यायिक प्रक्रिया की पूरी उम्मीद है।”
पीड़ितों के वकील, हितेश गुप्ता ने भी कहा कि 20 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और वे अपने कामकाज में व्यस्त हैं, जबकि पीड़ित परिवार अब भी न्याय की खोज में हैं। उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट की सिफारिशों के बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह शर्मनाक है।”
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
परिवारों के साथ-साथ कई राजनीतिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं। वडोदरा के नगर निगम कमिश्नर दिलीप राणा ने कहा कि प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को वित्तीय सहायता दी है, लेकिन बोट कांड से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जारी है।
आशिष जोशी, वडोदरा के काउंसलर ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि नगर निगम को सिर्फ राहत की राशि देने से काम नहीं चलेगा, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
हर्णी बोट कांड के पीड़ित परिवारों के लिए आज भी न्याय की प्रतीक्षा एक कठिन यात्रा बनी हुई है। एक साल बाद भी उनका दर्द जस का तस है, और उनका संघर्ष जारी है। क्या प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था अब सही कदम उठाएगी, यह देखना बाकी है। लेकिन यह साफ है कि इन परिवारों को न्याय मिलने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
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