वड़ोदरा शहर, एक ऐसा शहर जो भुलाये नहीं भूलता। यह शहर हमारे दिल -ओ -दिमाग पर ऐसी छाप छोड़ जाता है कि चाहकर भी हम इससे दूर नहीं हो पाते। वड़ोदरा को संस्कारी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। और क्यों न जाना जाए, आखिर यह शहर बना ही इसकी मज़बूत ऐतिहासिक नीव पर है।
पौराणिक काल से ही वड़ोदरा का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व रहा है। मंदिरों से लेकर महलों और संग्रहालयों तक वड़ोदरा के पास अपनी खुदकी ऐतिहासिक धरोहर रही है। इस लेख में हम वड़ोदरा और उसके आस-पास की कुछ ऐसी ही जानी-अनजानी जगहों के बारे में बात करेंगे।
लक्ष्मी विलास पैलेस (Lakshmi Villas Palace)
लक्ष्मी विलास पैलेस (Lakshmi Villas Palace) के बारे में तो अब कौन नहीं जानता। यह महल गायकवाड परिवार का निवास स्थान है। आज भी यहाँ गायकवाड़ के परिवार और वंशज रहते हैं। यह महल अपना यूरोपियन और इंग्लिश आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। इसके हरे भरे बगीचे और म्यूजियम आकर्षण का कारण बनते हैं।
ऐसे ही दुसरे कुछ पैलेस हैं नज़रबाग पैलेस और मकरपुरा पैलेस। यह भी एक ज़माने में गायकवाड़ के निवास्थान हुआ करते थे।
मांडवी और लेहरिपुरा गेट (Mandvi and Leharipura Gate)
मांडवी और लेहरिपुरा गेट की तो बात ही कुछ और है। मांडवी गेट वडोदरा में 16वीं सदी से है। यह शहर के बीच में स्थित है, जहाँ चार दरवाज़ों तक जाने वाली सड़कें मिलती हैं। मांडवी नाम का संस्कृत में मतलबहोता है “खंभे वाला हॉल”. लेहरिपुरा दरवाजा हलचल रहने वाले बाजार के बीचों बीच खड़ा, सबसे ज़्यादा सजा हुआ गेट है। सन् 1558 में बना यह गेट, पुराने शहर की तरफ जाने का एक रास्ता है और यह न्यायमंदिर के पास ही है।
महाराजा फतेहसिंह म्यूजियम और बरोड़ा म्यूजियम (Maharaja Fateh Singh Museum and Baroda Museum)
वड़ोदरा के पास धरोहर के रूप में अपना खुदका संग्रहालय भी है। महाराजा फतेहसिंह म्यूजियम लक्ष्मी विलास पैलेस का एक हिस्सा है। और बरोड़ा म्यूजियम कमाटी बाग़ में मौजूद एक सरकारी म्यूजियम है जिसमें आर्ट और पिक्चर गैलरी से लेकर यूरोपियन गैलरी तक सब कुछ है।
खंडेराव मार्किट (Khanderao Market)
खंडेराव मार्किट वड़ोदरा की बहुत पुरानी बिल्डिंग है। इसमें वड़ोदरा महानगर पालिका का ऑफिस है और तो और वड़ोदरा का सबसे बड़ा सब्ज़ी बाजार भी यहीं पर है।
सयाजीबाग (Kamati Baug)
गायकवाड़ द्वार बनाया गया यह एक बहुत ही सुन्दर बाग़ है। इसमें जॉय ट्रैन के साथ-साथ सयाजी ज़ू भी है। और यहीं पर तो बरोड़ा म्यूजियम मौजूद है। इस बाग़ का सबसे बड़ा आकर्षण है यहाँ कि फूलों की घड़ी जो सूरज की रौशनी से चलती है।
सूरसागर लेक (Sur Sagar Lake)
शहर के बीचों बीच स्थित यह सबसे पुराना और बहुत बड़ा तालाब है। इस तालाब के बीच में शिवजी की एक सोने की प्रतिमा भी है।
कीर्ति मंदिर (Kirti Mandir)
कीर्ति मंदिर का निर्माण महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III ने अपने पूर्वजों की गौरवशाली स्मृति को बनाए रखने के लिए करवाया था।
कीर्ति स्तम्भ (Kirti Stambh)
कीर्ति स्तंभ, वडोदरा के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक, पोलो ग्राउंड के पास स्थित है। इसका निर्माण 1935 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड III ने करवाया था। यह गुलाबी सोनगढ़ पत्थर से बना है। इसे टावर ऑफ़ फेम के नाम से भी जाना जाता है।
न्यायमंदिर (Nyay Mandir)
यह प्राचीन भवन एक समय पर जिला सत्र न्यायालय हुआ करता था। अब यह केवल आकर्षण का स्थान है।
इनके अलावा वड़ोदरा के अंदर कई मंदिर भी हैं। जैसे कि, EME मंदिर जो की दक्षिणामूर्ति महादेव का मंदिर है, लक्ष्मीनारायण मंदिर, सूर्यनारायण मंदिर जो सूर्यदेव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, काशीविश्वनाथ महादेव मंदिर, और तपोवन मंदिर जो की फिर से महादेव का मंदिर है लेकिन यहाँ साउथ भगवान हैं।
यह तो थी वड़ोदरा के अंदर की ऐतिहासिक जगहें। लेकिन, सिर्फ वड़ोदरा के अंदर ही नहीं, वड़ोदरा के बाहर भी जुडी है इस शहर की जड़ें।
कायावरोहण मंदिर (Kayavarohan)
कायावरोहण मंदिर शिवजी के 28 वें अवतार लकुलीश भगवान का मंदिर है। इस मंदिर का बहुत आध्यात्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस 28 वें अवतार का जन्म इसी भूमि पर हुआ था जहाँ अभी यह मंदिर स्थित है। यहाँ एक योग का विश्वविद्यालय भी है। और तो और बैठके ध्यान लगाने के लिए या समाधी में जाने के लिए भी यहाँ एक गुफा है। यह स्थान सतयुग से मौजूद है और इसकी मूर्ति की स्थापना विश्वामित्र ने की थी ऐसा कहा जाता है।
पावागढ़ (Pavagadh)
पावागढ़ वड़ोदरा से कुछ ही दूरी पर स्थित काली माँ का मंदिर है। यह एक पहाड़ पर मौजूद है। इस स्थान की भी बहुत मान्यता है। यह त्रेता युग और द्वापर युग के समृद्ध इतिहास वाला एक प्राचीन ट्राइसिक काल का स्थान है। इसी के सामने एक और मंदिर है ढाबा डूंगरी।
झंड हनुमान (Zand Hanuman Temple)
अपनी प्राचीनता के लिए मशहूर यह वड़ोदरा से कुछ ही किमी दूर हनुमानजी का एक मंदिर है। कहा जाता है कि यहाँ पर स्थापित हनुमानजी की मूर्ति को एक पहाड़ के सिर्फ एक ही टुकड़े को काटकर बनाया गया है।
कावी कम्बोई (KAVI KAMBOI)
कावी कम्बोई को स्तंभेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार शिवजी के पुत्र कार्तिकेय ने एक राक्षस का वध किया था और यहां उसकी जगह एक शिवलिंग स्थापित किया था। इस मंदिर में दोपहर होने के बाद समुद्र का पानी आना शुरू होता है। कुछ ही घंटों में इस पानी से यह मंदिर पूरा डूब जाता है। और सुबह होते ही समुद्र का पानी वापस चला जाता है। ऐसा हर रोज़ होता है।
ऐसे ही, पोइचा, रणु, कुबेर भंडारी और हथनी माता (जहाँ पानी का झरना भी है), जैसे मंदिर भी मौजूद हैं जो वड़ोदरा को एक आध्यात्मिक महत्व देते हैं।
इसलिए कहा जाता है की वड़ोदरा के पास सबकुछ है। इसके पास धन राशि के साथ-साथ आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, और साहित्यिक धन भी है। आपको सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि पिकनिक मानाने के लिए भी स्थल मिल जाएंगे। कुछ दिन तो गुज़रिये वड़ोदरा में।
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