दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही राजधानी की झुग्गी बस्तियों में गहमा-गहमी बढ़ गई है। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग, जो लगभग 15 लाख वोटरों के रूप में चुनावी दंगल का अहम हिस्सा हैं, अब यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि किस पार्टी के पास उनके हितों की ज्यादा सुनवाई हो रही है। दिल्ली के चुनावी परिप्रेक्ष्य में ये मतदाता एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इनकी चुनावी प्राथमिकताएं अक्सर उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़ी होती हैं—जिसमें पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ शामिल हैं।
झुग्गियों में चुनावी माहौल
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं। नवजीवन कैंप और कुसुमपुर पहाड़ी जैसी बस्तियों में रहने वाले लोग जो दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से आए थे, अब यहां 20 साल, 30 साल या फिर उससे भी ज्यादा समय से रह रहे हैं। इन बस्तियों में अत्यधिक घनत्व, छोटे घर, और बुनियादी सुविधाओं की कमी एक आम समस्या है। बावजूद इसके, इन झुग्गीवासियों में कुछ उम्मीदें और निराशाएं भी हैं, जो चुनावों के समय महत्वपूर्ण बन जाती हैं।
केजरीवाल का काम: मुफ्त सुविधाओं से उम्मीदें
झुग्गी बस्तियों के लोग मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार से खुश नजर आते हैं, क्योंकि उनकी सरकार ने इन बस्तियों में कई सुविधाओं को मुफ्त किया है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, पानी की मुफ्त आपूर्ति, और मोहल्ला क्लिनिक जैसी सुविधाएं कई परिवारों के लिए राहत का कारण बनी हैं। चंद्रभान जैसे लोग, जो महीनों में मुश्किल से 500-600 रुपये रोजाना कमाते हैं, इन सुविधाओं को सराहते हैं। वे बताते हैं, “केजरीवाल की सरकार ने जो सुविधाएं दी हैं, वह हमारे लिए बहुत बड़ी मदद हैं। लेकिन वोट देने से पहले हम यह देखेंगे कि कौन हमारे जीवन को और बेहतर बना सकता है।”
पानी और सफाई की समस्याएं: चुनावी मुद्दे
झुग्गीवासियों के लिए पानी की समस्या एक बड़ी चिंता है। जैसे कुसुमपुर पहाड़ी में रहने वाली त्रिकासो बताती हैं, “पानी के लिए बहुत दिक्कत होती है। पहले लड़ाई-झगड़े होते थे, अब थोड़ी राहत मिली है, लेकिन कभी-कभी पानी भी नहीं आता।” दिल्ली के इन इलाकों में पानी की आपूर्ति को लेकर सरकार की योजनाओं की सराहना होती है, लेकिन स्थिति में सुधार की उम्मीद भी बनी रहती है।
राजनीतिक दलों की घोषणाएं और उनका असर
दिल्ली में चुनावी प्रचार में तीन प्रमुख पार्टियां—AAP, BJP और कांग्रेस—अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में हैं। BJP का आरोप है कि AAP मुफ्त सुविधाओं के नाम पर दिल्ली को कर्ज में डाल रही है, जबकि AAP का कहना है कि भाजपा झुग्गियों को खत्म करने की योजना बना रही है और इस वर्ग को अपमानित कर रही है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर अपनी विचारधारा पेश करती है, और दावा करती है कि AAP के फ्रीबीज के कारण दिल्ली सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है।
क्या बदलाव आएगा?
दिल्ली के इन झुग्गीवासियों के लिए चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने जीवन में बदलाव की उम्मीद है। यहां के मतदाता बारीकी से सरकार के वादों का मूल्यांकन कर रहे हैं। मुफ्त बिजली, पानी, और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने वाले लोग अब यह देखना चाहते हैं कि सरकार इन सुविधाओं को किस हद तक कायम रख सकती है और क्या वाकई झुग्गीवासियों के जीवन में सुधार होगा।
दिल्ली के चुनावी नतीजे उन नीति-निर्माताओं के लिए सबक हो सकते हैं जो गरीबों और झुग्गीवासियों की अनदेखी करते हैं। दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के लोग, जो अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, अब खुद को एक राजनीतिक ताकत के रूप में देख रहे हैं। यह चुनाव उनके लिए एक अवसर है, न सिर्फ वोट देने का, बल्कि अपने अधिकारों को पुनः स्थापित करने का।
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग केवल चुनावी वादों के नाम पर नहीं, बल्कि अपने जीवन स्तर में वास्तविक सुधार की उम्मीद रखते हैं। मुफ्त सुविधाएं केवल एक शुरुआत हैं, लेकिन इन लोगों की उम्मीदें अधिक स्थिर, समृद्ध और न्यायपूर्ण भविष्य से जुड़ी हैं। अब यह देखना होगा कि कौन सी पार्टी इन मुद्दों को समझकर और बेहतर तरीके से हल पेश करती है।
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