हालही में एक चिंता जनक बात सामने आई है। दरअसल कोरोना काल में सबको घर बैठके वर्क फ्रॉम होम की आदत लग गई थी। इस वजह से लैपटॉप पे लगातार काम करके, हेडफोन्स (headphones) लगाकर युवाओं में एक कान से बहरेपन की बीमारी बढ़ती नज़र आ रही है।
कोरोना काल के बाद 18 से 40 साल तक के युवानों में एक कान से बहरे हो जाने के संकेत नज़र आ रहे हैं। कोरोना के पहले 6 महीने में मुश्किल से 1 केस देखने को मिलता था। लेकिन, अब 1 महीने में ही 15 से 20 केस सामने आ रहे हैं। फ़ोन पे लगातार व्यस्त रहना, ज़ोर-ज़ोर से गाने सुनना, पिक्चर देखने की आदत लगने की वजह से एक कान का बहरापन बढ़ता जा रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक, जिन लोगों को गंभीर कोविड होता है, उनमें थ्रोम्बोसिस (thrombosis) यानी खून का थक्का जम जाता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में पहुंच जाता है और वहां ब्लड फ्लो की प्रोसेस में बाधा डालता है। अगर यह कान के हिस्से को प्रभावित करता है, तो सुनने की क्षमता में कमी का पता चलता है।
लेकिन समाज में बहरेपन का मज़ाक बनने के कारण लोग इलाज करवाने में देरी करते हैं जिससे हालत और बिगड़ जाती हैं। इसलिए युवाओं को ध्यान रखना होगा कि किसी भी तरह के बहरेपन के लक्षण महसूस होते ही तुरंत डॉक्टर के पास जा कर इलाज करवाएं।
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