गुजरात सरकार द्वारा हाल ही में जंत्री दरों में किए गए अभूतपूर्व और चौकाने वाले बढ़ोतरी के बाद, राज्यभर में बिल्डर्स और रियल एस्टेट डेवलपर्स का गुस्सा फूट पड़ा है। इसी के चलते अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट जैसे प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए, जहां बिल्डर्स ने सड़कों पर उतर कर सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी आवाज उठाई । इस बढ़ोतरी के चलते आवासीय और व्यापारिक संपत्तियों के दाम में 30 से 40 प्रतिशत तक इजाफा होने का अनुमान है, जो आम आदमी के लिए घर खरीदना और भी मुश्किल बना देगा।
बिल्डर्स का आरोप: जंत्री दर में 200 से 2000 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी
राज्य सरकार ने जंत्री दरों में इस साल तगड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो 200 प्रतिशत से लेकर 2000 प्रतिशत तक हो सकती है। यह बढ़ोतरी सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरी इलाकों के अलावा, राजकोट और अन्य छोटे शहरों में भी लागू की जाएगी। इस फैसले के बाद, बिल्डर्स का कहना है कि अगर यह दरें लागू होती हैं, तो रियल एस्टेट बाजार में और भी मंदी आ सकती है, और संपत्तियों के दाम आसमान छू सकते हैं।
बिल्डर्स और डेवलपर्स की गंभीर चिंता
बिल्डर एसोसिएशनों का कहना है कि पिछले 12 वर्षों से जंत्री दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था, लेकिन अब अचानक इतना बड़ा बदलाव क्यों किया गया, इसका कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। बिल्डर्स का कहना है कि अगर सरकार इस बढ़ोतरी को तुरंत वापस नहीं लेती है, तो इससे राज्य के रियल एस्टेट सेक्टर को भारी नुकसान होगा और आम आदमी के लिए घर खरीदना और भी महंगा हो जाएगा।
क्या यह बढ़ोतरी सरकारी विकास योजनाओं के खिलाफ है?
क्रेडाई और बिल्डर्स एसोसिएशन का मानना है कि जंत्री दरों में इस तरह का भारी इजाफा राज्य सरकार की विकास योजनाओं के खिलाफ जा सकता है। वे कहते हैं कि इस बढ़ोतरी से न केवल निर्माण लागत में वृद्धि होगी, बल्कि यह राज्य के विकास की गति को भी प्रभावित करेगा। छोटे और मंझले डेवलपर्स के लिए तो यह एक और झटका हो सकता है, क्योंकि वे पहले ही अन्य प्रशासनिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं।
सवाल सरकार से: क्या यह फैसला गरीबों के सपनों को तोड़ देगा?
राजकोट में एक बिल्डर एसोसिएशन के प्रमुख ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अगर यह दरें लागू होती हैं, तो मकान और फ्लैट्स के दाम 50 से 100 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। यह आम आदमी के लिए घर का सपना अधूरा छोड़ सकता है।” सरकार द्वारा की गई इस बढ़ोतरी का बड़ा सवाल यह है कि क्या यह निर्णय सच में राज्य की प्रगति के लिए फायदेमंद होगा, या यह सिर्फ आम जनता को भारी आर्थिक दबाव में डालने वाला साबित होगा?
मांग: जंत्री दर में बदलाव का समय बढ़ाया जाए
बिल्डर्स और डेवलपर्स का कहना है कि सरकार ने जंत्री दरों पर अपनी घोषणा के लिए सिर्फ एक महीने का समय दिया है, जो कि बेहद कम है। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की है कि इस बढ़ोतरी पर पुनः विचार किया जाए और इसे 31 मार्च 2025 तक स्थगित किया जाए ताकि इस पर सभी पक्षों से विचार विमर्श किया जा सके। साथ ही, उन्होंने ऑफलाइन वांधापत्र जमा करने की सुविधा देने की भी मांग की है, ताकि हर नागरिक अपनी शिकायत और राय सरकार तक पहुंचा सके।
क्या सरकार रियल एस्टेट सेक्टर के लिए यह सही फैसला ले रही है?
जंत्री दरों में इस त्वरित और अचानक वृद्धि को लेकर उठ रहे विरोधों के बीच सरकार को अब गंभीरता से इस मामले पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। यदि इस बढ़ोतरी से रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी आती है, तो इसके न केवल विकास पर नकारात्मक प्रभाव होंगे, बल्कि आम आदमी के लिए घर खरीदना और भी महंगा हो जाएगा, जिससे उनका सपना अधूरा रह जाएगा।गुजरात सरकार को यह समझना होगा कि इस तरह के निर्णयों से केवल रियल एस्टेट सेक्टर ही नहीं, बल्कि राज्य की समग्र आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है
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