CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 22   4:17:37

नरेंद्र मोदी के घर पर रहकर पढ़े अब्बास

24-06-22

‘हां मैं नरेन्द्रमोदी की माता हीराबा के घर पर रह कर पढ़ा हूं। मेरा नाम है अब्बास। आज कल लोग किसी को याद नहीं रखते। ऐसे में नरेन्द्र भाई और हीराबा ने मुझे याद किया, यह मेरे लिए गौरव की बात है।’ हीराबा के 100वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक भावनापूर्ण पत्र में पिताजी के मित्र के बेटे अब्बास का जिक्र किया।

इसी के साथ अब्बास नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा। ये अब्बासभाई अभी आस्ट्रेलिया के सिडनी में बेटे के साथ रहते हैं।अब्बास भाई ने कहा कि मैं वडनगर के पास के सिम्पा गांव का रहने वाला हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरे नाम का उल्लेख किया, यह बात बिल्कुल सही है। मैं वडनगर में हीराबा के घर पर रह कर पढ़ा हूं।

साल 2014 में मैं हज करने गया था। वहां से लौट कर हीराबा से मिलने गया। हीराबा को उस दिन मैंने जन्नतुल फिरदौस इत्र और वहां से लाया जमजम का पावन पानी दिया था। हीराबा बहुत खुश हुई थीं। मेरे पिताजी और नरेन्द्र मोदी के पिता दामोदर काका पक्के मित्र थे। मेरा स्कूल वडनगर में था। पिताजी के देहांत के बाद मेरे बड़े भाई ने दामोदर काका से मेरी परेशानी के बारे में बात की।

दामोदर काका ने कहा कि अब्बास को मेरे घर भेज दो। मैं उसे अपने घर रख कर पढ़ाऊंगा और ख्याल रखूंगा। मेरे लिए जैसा पंकज वैसा ही अब्बास। नरेन्द्र मोदी के छोटेभाई पंकज मोदी अब्बासभाई के साथ एक ही स्कूल में पढ़ते थे, एक ही क्लास में। इस कारण भी दोनों अच्छे मित्र बन गए। ये मित्रता अब भी जारी है।

साल 1973-74 में अब्बासभाई ने हीराबा के घर पर रह कर मैट्रिक की परीक्षा वडनगर से पास की। मैट्रिक पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विसनगर चला गया। बाद में वहां से माणसा और अहमदाबाद में पढ़ाई की। सरकारी नौकरी लगने पर परिवार के साथ स्थाई हो गया। मैं जब हीराबा के घर रहा उससे पहले से ही नरेन्द्र मोदी घर पर नहीं रहते थे। इसलिए उनके साथ बहुत मिलना नहीं हुआ। पंकजभाई हाल में मुझसे मिलने भी आए थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अब्बास भाई पर कहा था कि ‘मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर बहुत खुश होती हैं। हमारे घर से कुछ ही दूर एक गांव है, जहां मेरे पिताजी के बहुत ही अजीज मित्र रहते थे। उनका बेटा अब्बास। अब्बास के पिताजी के एकाएक निधन के बाद पिताजी उसे घर ले आए। अब्बास ने हमारे घर पर रह कर पढ़ाई की। हमारी तरह मां भी अब्बास की बहुत देख-रेख करती थी। ईद के दिन अब्बास की पसंद के पकवान भी बनाया करती थीं।’