गुजरात के अमरेली जिले में, जहां गिर वन क्षेत्र और रेलवे ट्रैक आपस में मिलते हैं, वहां शेरों की जान पर बन आई कई घटनाओं को लोको पायलटों की सतर्कता और वन विभाग के ट्रैकर्स की मदद से टाला गया है। पिछले दो दिनों में दो महत्वपूर्ण घटनाओं में लोको पायलटों ने शेरों की जान बचाने के लिए इमरजेंसी ब्रेक लगाए, जो न केवल इन जानवरों के लिए बल्कि उनके जीवन के महत्व को भी दर्शाता है।
पहली घटना: पांच शेरों की जान बचाई
पहली घटना शुक्रवार की है, जब हापा से पीपावाव बंदरगाह की ओर जा रही एक मालगाड़ी के लोको पायलट धवलभाई पी ने राजुला शहर के पास रेल पटरी पर पांच शेरों को देखा। इन शेरों का इस ट्रैक के पास दो दिनों से डेरा था। लोको पायलट ने तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगाए और वन रक्षकों को सूचित किया। वन रक्षक टीम ने मौके पर पहुंचकर शेरों को पटरी से दूर किया, जिसके बाद ट्रेन को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई।
दूसरी घटना: तीन शेरों की जान बचाई
दूसरी घटना शनिवार को हुई, जब एक पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट सुनील पंडित ने धारी खंड में एक शेरनी को दो शावकों के साथ रेल पटरी पार करते देखा। उन्होंने तुरंत ट्रेन रोक दी और वन रक्षक को सूचित किया। वन रक्षक के मौके पर पहुंचने के बाद शेर परिवार को पटरी से दूर कर दिया गया, और फिर ट्रेन को आगे बढ़ने दिया गया।
104 शेरों की जान बचाने में अहम भूमिका
भावनगर के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक माशूक अहमद के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में अब तक पश्चिम रेलवे के भावनगर मंडल के लोको पायलटों की सतर्कता और वन विभाग की ट्रैकर टीम की मदद से 104 शेरों की जान बचाई जा चुकी है। यह एक शानदार उदाहरण है कि कैसे मानवता और जिम्मेदारी एक साथ आकर न केवल मानव जीवन को बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर सकती है।
यह घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि प्राकृतिक संसाधनों और वन्यजीवों की सुरक्षा में हमारी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। लोको पायलटों की तत्परता और वन विभाग की मदद से शेरों की जान बचाई जा रही है, जो दर्शाता है कि अगर हम सतर्क रहें और उचित कदम उठाएं, तो हम इंसानों के साथ-साथ वन्यजीवों की सुरक्षा भी कर सकते हैं। यह हमारे समाज और सरकार के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए कि मानव जीवन के साथ-साथ हमें अन्य जीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए।
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