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May 3, 2024

मां-बाप होने के बावजूद अनाथ बताकर गोद दिए 2 लाख़ बच्चे

12-12-2022, Mondday

क्यूंग सूक 1970 में साउथ कोरिया में पैदा हुई। उसके जन्म के तुरंत बाद ही उसकी मां की मौत हो गई। पिता ने गरीबी के चलते उसे एक देखभाल केंद्र में छोड़ दिया, ताकि कुछ पैसों का जुगाड़ होने के बाद उसे वापस अपने पास रख सकें। पर ऐसा नहीं हुआ, सूक के पिता उसे वापस ला पाते उसके पहले ही एक गोद लेने वाली संस्था यानी एडॉप्शन एजेंसी ने उसे अनाथ घोषित कर नॉर्वे भेज दिया।

क्या आप जानते हैं कि सूक की तरह ही साउथ कोरिया से लगभग 2 लाख बच्चों को 1950 से 80 के बीच एडॉप्शन एजेंसियों ने विदेश भेजा था। अमेरिकी मीडिया हाउस NPR की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से हजारों बच्चों को झूठ बोलकर और उनकी पहचान छिपाकर उन्हें विदेशियों को गोद दिया गया था।

साउथ कोरिया की सरकारी एजेंसियों पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हैं। वहां की सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आयोग भी बनाया है जिसका नाम ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन रखा गया है। जो उन कई सौ बच्चों के रिकॉर्ड खंगालेगी, जिन्हें धोखे से विदेशियों को गोद दिया गया था।

धोखे से गोद दिए गए बच्चों के लिए साउथ कोरिया ने बनाया कमिशन
8 दिसंबर 2022 को साउथ कोरिया के ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन ने कहा कि वो उन मामलों की जांच शुरू करने जा रहा है, जिनमें ए़डॉप्शन एजेंसियों ने झूठ बोलकर कई बच्चों को यूरोप में गोद दे दिया था। NPR की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक साउथ कोरिया से गोद लिए गए लगभग 400 लोगों ने अपने एडॉप्शन की जांच की मांग की है। जांच के आवेदन के लिए सरकार ने 9 दिसंबर को अंतिम तारीख रखी थी।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरिया में गैर कानूनी तरीके से बच्चों को गोद देने का मामला कितना बड़ा है। शुरुआत में कमिशन केवल 34 मामलों की जांच करेगा । ये उन 51 लोगों में शामिल हैं जिन्होंने अगस्त के महीने में जांच के लिए एप्लाई किया था।

कमिशन की जांच का जो नतीजा होगा उसके आधार पर दूसरे लोग भी इन ए़डॉप्शन एजेंसियों पर या फिर सरकार पर मुआवजे के लिए मुकदमा शुरू कर पाएंगे। जिन एजेंसियों पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं, उनमें दो बड़ी कंपनियां हैं। पहली- हॉल्ट चिलड्रन सर्विस, दूसरी- कोरिया सोशल सर्विस। 2024 से पहले इस जांच के पूरे होने का अनुमान हैं।

झूठ बोलकर बच्चों को यूरोप और अमेरिका में गोद देने के ज्यादातर मामले साल 1950 से 1980 के दशक के हैं। काफी सारे मामलों में झूठ बोलकर गोद दिए बच्चे गरीब परिवारों और बिन ब्याही महिलाओं के थे। जिन पर दबाव बनाया गया कि ये अपने बच्चों को अस्पताल में ही छोड़ दें। गोद देने के लिए इन बच्चों की डॉक्यूमेंट में बदलाव कर दिए जाते थे। इन्हें कागजों में अनाथ दिखाया जाता था और इनके मां-बाप से छुपा लिया जाता था कि उनका क्या किया गया है।