CATEGORIES

March 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31  
Friday, March 14   6:53:09

सावन में ही क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज, जानें पौराणिक महत्व

सावन का महीना आते ही भारत में तीज त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है। सावन और भादो मास में तीन प्रमुख तीज आती है। इनका नाम हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज है। इन तीनों तीजों में हरियाली तीज उत्तर भारत में सबसे खास मानी जाती है। महिलाओं के लिए हरियाली तीज का पर्व बेहद अहम होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

मान्यता है जो स्त्री इस दिन व्रत पूजन करती है उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की सदैव कृपा बनी रहती है। इस साल यह हरियाली तीज का पर्व 19 अगस्त को मनाया जा रहा है। इसे सावन तीज, सिंधारा तीज, छोटी तीज, आखा तीज के नामों से भी जाना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठिन तपस्या की थी। इस तपस्या के बाद भगवान शिव ने श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी पार्वती को अपनी पत्नी के तौर पर स्वीकार किया था। कहते हैं तभी से ये दिन विवाहित स्त्रियों और मनचाहा वर पाने की कामना रखने वाली कुंवारियों के लिए खास माना जाता है। इसलिए इस दिन हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है।

हरियाली तीज के मौके पर माता-पिता अपनी विवाहित बेटी और उसके ससुराल वालों को तोहफे देते हैं। इसे सिंधारा के नाम से जाना जाता है। सिंधारे में चूड़ियां, मेहंदी, घेवर और भी बहुत सा सामान होता हैं। इस त्योहार पर विवाहित कन्याओं को सिंधारा देने के कारण ही इसे सिंधारा तीज भी कहा जाता है।

हरियाली तीज पर हरे रंग का भी काफी महत्व होता है। हरा रंग शांति का प्रतीक माना जाता है। यह रंग प्रकृति को भी दर्शाता है। वहीं हरे रंग का संबंध विवाह से भी होता है। हरियाली तीज भी इसी प्रकृति का ही प्रतीक है इसलिए इस दिन हरा रंग खास माना जाता है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े और हरी चूड़ियों के साथ अपना श्रृंगार करती हैं।