देश भर में CAA यानि सिटीजनशीप अमेंडमेंट एक्ट कानून लागू हो गया है।
देशभर में 2019 का सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट सत्तावार रूप से लागू कर दिए जाने की PMO ने घोषणा की है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह सबसे बड़ा कदम है ।इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक शरणार्थीयो को भारतीय नागरिकता मिलेगी।इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर अर्जी करनी होगी। इन पड़ोसी देशों में पाकिस्तान ,बांग्लादेश, और अफगानिस्तान में से कोई भी डॉक्यूमेंट के बिना भारत आए शरणार्थी हिंदू,सिख, ख्रिस्त, जैन, पारसियों को भारत देश का नागरिकत्व मिलेगा।इसके लिए अर्जदार को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर अर्जी करनी होगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि इस कानून को 2019 में दोनों सदनों में पारित कर दिया गया था। और राष्ट्रपति की मंजूरी की मोहर भी इस पर लग चुकी थी ।इस कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए ,जो हिंसक बने ।इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्यवाही में कई लोगों ने जाने गवाही थी ,लेकिन कोरोना काल के चलते इसको लागू करने की प्रक्रिया में विलंब हुआ था।
इस CAA कानून को जानना जरूरी है।वास्तव में CAA किसी व्यक्ति को नागरिकता प्रदान नही करता , वरन व्यक्ति को अर्जी करने योग्य बनाता है। 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए शरणार्थियों को इमीग्रेंट द्वारा कितना समय वे भारत में रहे हैं, उस अवधि को साबित करना होगा। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि, वे देश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से ही कोई भाषा वे बोलते हैं, यह भी साबित करना होगा अरजदार को नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूर्ण करना होगा, तभी वह व्यक्ति सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के तहत नागरिकता पाने हेतु अर्जी करने के लिए हकदार होगा।
मुद्दा यह है कि भारत में सालों पहले आए पारसी तो देश के नागरिक है ही,बाकी शरणार्थी के रूप में आए बांग्लादेशी एवं अन्य लोगो ने येनकेन प्रकार से आधार कार्ड, बिजली, पानी की सुविधाएं प्राप्त कर ली है, क्या यह वोट बैंक का तो नही है?
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