आम अपराधो के साथ-साथ साइबर अटैक की घटनाएं भी दिन ब दिन बढ़ रही है।जिसमे आम नागरिकों के साथ-साथ सरकारी वेबसाइट्स भी हैकर्स के निशाने पर है।
देश डिजिटल युग में आगे बढ़ रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैंकिंग,कंपनी काम पेपरलेस करने पर जोर दे रहे है। लोग भी इस और मुड़ रहे हैं। सब्जी जैसी छोटी खरीदारी में भी ऑनलाइन पेमेंट का करने लगे हैं। एक ओर जहां यह सुविधाजनक है, वहीं दूसरी ओर इसके बुरे प्रभाव भी पड़ रहा है। देश में साइबर क्राइम बढ़ने लगे हैं। नागरिकों के बैंक अकाउंट्स से हैकर्स पैसे ऐसे गायब करते हैं जैसे गाढ़े के सिर से सिंग। वहीं सिर्फ सरकारी वेबसाइट्स पर ही पांच सालों में 5 लाख साइबर अटैक हुए हैं।
केवल एक वर्ष में इसमें 400 गुना इजाफा हुआ है। पिछले चार साल में 241 वेबसाइट्स हैक हुई है। वर्ष 2021में 48,285सरकारी संस्थाओं की वेबसाइट्स हैक हुई। वर्ष 2022 में ही यह आंकड़ा बढ़कर 1.92 हजार हो गया। बस 2023 के जून महीने तक के केवल 6 महीनों में ही 1.12 लाख साइबर अटैक हो चुके हैं। साढ़े चार सालो में कंप्यूटर प्रोग्राम और अन्य तकनीकों द्वारा ऑनलाइन बैंकिंग और फाइनेंस सर्विस देती फिनटेक वेबसाइट पर हैकर्स ने 28.25 लाख की गड़बड़ी की है।
अब तो सरकार को पुलिस विभाग में स्पेशल साइबर क्राइम विभाग बनाना पड़ा है। डेटा प्राइवेसी को लेकर सरकार नया कानून ला रही है। साइबर सुरक्षा को लेकर रेगुलर नेटवर्क सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन पर ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया है। 2021-2022 में 42 ट्रेनिंग प्रोग्राम हुए, जिसमें 11हजार से अधिक लोगों को साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग दी गई। सरकार ने मंत्रालयों और सामाजिक क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए गाइड लाइन भी बनाई है, ताकि साइबर क्राइम कम हो।
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