CATEGORIES

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728  
Wednesday, February 12   1:30:02
hjiuyo-1024x560

यूपी: प्रदेश की ये 86 आरक्षित सीटें हैं सत्ता की चाबी

चुनावी समीकरणों का एक बेहद रोचक तथ्य है कि जिस भी दल ने आरक्षित सीटों में से साठ फीसदी से ज्यादा जीतीं, सत्ता उसी के हाथ रही। सभी दल इन सीटों की अहमियत समझते हैं। यही वजह है कि सभी इन सीटों पर जीत के समीकरण साधने में जुटे हैं। तो बसपा सुप्रीमो मायावती अनुसूचित जातियों के साथ ब्राह्मण, मुस्लिम और जाटों का गठजोड़ बनाने में जुटी हैं। मंशा साफ है कि इनमें से कोई एक भी पूरी तरह से साथ आ गया तो बात बन जाएगी।

प्रदेश में इस समय 86 आरक्षित सीटें हैं। इनमें 84 अनुसूचित जाति के लिए, तो दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए हैं। बहरहाल सियासी दलों की नजरें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 84 सीटों पर गड़ी हुई हैं। सियासी पंडित बताते हैं कि 2007 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटें 89 थीं। इनमें से बसपा ने 62 पर जीत दर्ज कर सरकार बना ली थी। 2012 के चुनाव में बसपा आरक्षित सीटों में से 15 ही जीत पाई। समाजवादी पार्टी ने 58 आरक्षित सीटें जीत लीं। नतीजा, सपा की सूबे में सरकार बन गई है।

आरक्षित सीटों पर बसपा का खास अभियान
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 21 आरक्षित सीटों के समीकरण साधने में राजनीतिक दल जुट गए है। ब्राह्मण-अनुसूचित जाति का समीकरण साधने के लिए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा सम्मेलन कर चुके हैं। रामपुर मनिहारन, सहारनपुर ग्रामीण, पुरकाजी, खैर, इगलास, जलेसर, नहटौर, नगीना, धनौरा, हापुड़, हस्तिानपुर, खुर्जा, आगरा देहात, आगरा कैंट, टूंडला, किशनी, बलदेव, फरीदपुर, पूरनपुर, पुवायां सीट पर खास तैयारी की गई है।

16 दिसंबर से दूसरे चरण का अभियान शुरू होना है। इन सभी सीटों पर जहां दलितों की संख्या काफी है, तो ब्राह्मण भी इस भूमिका में हैं कि वे चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। बसपा की मंशा इन सीटों पर ब्राह्मणों को साथ जोड़ने की है ताकि उसकी मंजिल आसान हो जाए। हालांकि बसपा इन सीटों पर जाट और मुस्लिमों को भी जोड़ने की बात कर रही है, पर इन जातियों के मजबूत सिपहसालार इस समय नहीं होने के कारण पार्टी उतनी शिद्दत से काम नहीं कर पा रही है।