23-11-2022, Wednesday
इस बार गुजरात विधानसभा के चुनाव त्रिकोणीय हो गए है। लेकिन हालिया सुरतेहाल बताते है कि कांग्रेस का मोर्चा ठंडा पड़ता नजर आ रहा हैं।
देश की सियासी चुनावी राजनीति में अब तक भाजपा कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रहती आई है।वही दक्षिण में वहा की स्थानीय पार्टियों का दबदबा रहा है।वहा पर कांग्रेस भाजपा को अपने पैर जमाने जद्दोजेहद करनी पड़ती है।
इस बार जहा पंजाब विधानसभा चुनावो मे भाजपा और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी।जिसकी उम्मीद नहीं थी ,वह आम आदमी पार्टी ने जीत के झंडे गाड़ दिए ,और अपनी सरकार बना ली।अब उड़ता पंजाब जैसे मुद्दों को कैसे नाथा जाता है,यह आम आदमी पार्टी की आगे की नीतियां बताएंगी। तो दिल्ली में भी जिस प्रकार नेता विविध आरोपो में अटके है सत्येंद्र जैन के जेल में नवाबी ठाठ के वीडियो वायरल हो रहे है ऐसे में लोगो की नजर में आम आदमी पार्टी की छवि धूमिल हो रही है।और मुफ्त बिजली,पानी के फेर में लोगो को घेरा है।दिल्ली में आप कितनी सफल है यह तो दिल्ली वाले बता सकते है।जहा तक शिक्षण नीति की बात है तो दिल्ली में पहले से सरकारी स्कूलों की पढ़ाई अच्छी रही है।दिल्ली में पहले बहुत ही धनवान लोग बच्चो को प्राइवेट स्कूलों में भेजते थे।इस आम आदमी पार्टी ने दिल्ली ,पंजाब के बाद अब गुजरात जितने की ठानी है।
गुजरात विधानसभा चुनाव की यदि बात करें तो यहां पर अब तक कांग्रेस और भाजपा के बीच तमाम चुनाव में कांटे की टक्कर रहती थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री बनने के बाद से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है ।लेकिन इस बार के चुनावों को देखते हुए लगता है कि गुजरात में कमजोर पड़ने लगी कांग्रेस,मजबूत भाजपा के साथ तीसरी आम आदमी पार्टी उभर कर आई है। चुनावी विश्लेषकों के अनुसार इस बार गुजरात में भाजपा को आम आदमी पार्टी कांटे की टक्कर दे सकती है, वहीं कांग्रेस इन दोनों के सामने कमजोर पड़ती नजर आ रही हैं। त्रिकोणीय जंग होने के बावजूद भी इस बार भारतीय जनता पार्टी के सामने कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी को भी टक्कर देने की चुनौती है। गुजरात में केजरीवाल अब तक कई बार आ चुके हैं ,और गुजरात में मुफ्त बिजली देने का दावा कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह से यहां के लोगों ने हरघर में सूर्य शक्ति के जरिए बिजली उत्पन्न करना शुरू कर दिया है , गुजरात सरकार को बिजली दे रहे है। चुनावी विश्लेषकों के अनुसार मुफ्त बिजली का मोहरा शायद गुजरात में काम में लगे।
खैर…चुनाव में मतदाता का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो 8 दिसंबर को ही पता चलेगा।
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