“Forgiveness is not an occasional act; it is a constant attitude.” – Martin Luther King Jr.
हमारी जिंदगी में कई बार ऐसे पल आते हैं जब कोई हमें तकलीफ पहुंचाकर चला जाता है या हम कभी कोई बड़ी गलती कर बैठते हैं। ऐसे समय में दूसरों को या खुदको माफ़ करना ही सही विकल्प होता है। लेकिन, हम ऐसा नहीं कर पाते। ख़ास कर अपने आप को माफ़ करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम होता है। एक पल को हम दूसरों को माफ़ भी कर दें, लेकिन खुदको कभी माफ़ नहीं कर पाते। अगर यह काम हम कर लेते हैं तो हमारा जीवन आसान हो जाता है।
माफ़ करना एक आसान काम लगता है, लेकिन यह अक्सर हमारे द्वारा अपने लिए निर्धारित अवास्तविक अपेक्षाओं, समाज द्वारा हमारे लिए निर्धारित मानकों और यहां तक कि स्त्री पुरुष की निर्धारित भूमिकाओं के कारण मुश्किल हो जाता है।
क्षमा का वास्तविक अर्थ
क्षमा का अर्थ उन नकारात्मक भावनाओं और आक्रोशों को दूर करना है जो हमें हमारे विरुद्ध हुए गलत कार्यों से बांधे रखती हैं। क्षमा का मतलब है क्रोध, चोट के कारण अपनी मानसिक या भावनात्मक ऊर्जा को बर्बाद किए बिना ठीक होना और जीवन में आगे बढ़ना। इस संबंध में, क्षमा स्वयं के लिए उतनी ही (या अधिक) ज़्यादा ज़रूरी है जितनी कि दूसरे व्यक्ति के लिए है।
माफ़ी एक सुपरपावर है। यह हमें डर, गिल्ट और दर्द से उबरने में मदद करती है। यह हमारे व्यावसायिक और व्यक्तिगत रिश्तों को बेहतर बना सकती है। और हमें एक ऐसा व्यक्ति बनने में मदद करती है जो बाहरी परिस्थितियों और आंतरिक आलोचना से ऊपर उठकर एक मजबूत, उच्च पद पर आसीन होता है।
माफी देने से शरीर पर होते हैं ये जादूई असर
क्षमा करने से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। क्षमा करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें लो ब्लड प्रेशर, लो हार्ट रेट, एंग्जायटी और डिप्रेशन के लक्षणों में नज़र आती कमी, इम्यून सिस्टम के कार्य में सुधार, मादक द्रव्यों के सेवन का कम जोखिम और पुराने दर्द में कमी शामिल है।
इसके अलावा माफ़ी स्वस्थ रिश्तों और बेहतर कल्याण की भावना का समर्थन करती है। जब आप किसी को माफ़ करते हैं, तो आप अपने प्रति उनकी नकारात्मक भावनाओं को दूर करते हैं, जिससे सामने वाले का व्यक्तिगत विकास होता है। जब आप अपने अतीत में की गई किसी गलती के लिए खुद को माफ करते हैं, तो इससे आत्म-स्वीकृति और बेहतर भावनात्मक कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।
क्षमा करने का सही तरीका
क्षमा करना आसान नहीं होता। सबका क्षमा करने का अपना-अपना तरीका होता है। कोई आध्यात्मिक मार्गदर्शन की मदद लेकर दूसरों को माफ़ करने की प्रेरणा लेता है तो कोई अपने परिवार की कहानियों से प्रेरणा लेता है। दरअसल माफ़ करना कोई एक बार की बात नहीं है, बल्कि एक लम्बा प्रोसेस है। हम किसी को एक बार “हाँ ठीक है”, “कोई बात नहीं होता है”, “चलेगा” ऐसा सब बोलके सामने वाले को तसल्ली दे देते हैं, लेकिन खुद उस दर्द से बहार नहीं आ पाते। जब हम उस दर्द का असर कम होते देखेंगे तब हम सही में कह सकते हैं कि हमने सामने वाले को क्षमा कर दिया। और यही चीज़ अपने आप को माफ़ करते वक़्त भी लागू होती है।
इसलिए क्षमा करना सीखना तो ज़रूरी है ही, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है उस चोट से मिले घावों को भरना। और क्षमा कर देना एक तरह से घावों के लिए मरहम की तरह काम करता है। इसलिए जितना हो सके उतना क्षमा करना शुरू कर दीजिए।
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