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World Population Day

1000 साल में भी भारत में मुसलमानों की आबादी नहीं होगी हिंदुओं से ज़्यादा, World Population Day पर देखें विशेष रिपोर्ट

भारत की जनसंख्या दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या में से एक है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142.57 करोड़ है, जिसमें सबसे बड़ी आबादी हिंदुओं की है और उसके बाद मुसलमानों की। हालांकि, अक्सर यह दावा किया जाता है कि भारत में मुस्लिम आबादी हिंदुओं से आगे निकल जाएगी, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा होने की संभावना नहीं है।

मुस्लिम और हिंदू आबादी की वृद्धि दर
राष्ट्रीय परिवार कल्याण समीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र कोठारी का कहना है कि अगली जनगणना तक मुस्लिम आबादी या तो घट जाएगी या स्थिर रहेगी, जबकि हिंदू आबादी में मामूली वृद्धि देखी जा सकती है। उनका अनुमान है कि 2170 तक, यानी 146 साल तक अगर मुसलमान ही बच्चे पैदा करें और हिंदू एक भी बच्चा पैदा न करें, तब भी मुस्लिम आबादी बढ़ने की संभावना नहीं है।

पिछली जनगणना के आंकड़े
2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदू 79.08%, मुस्लिम 14.23%, ईसाई 2.30%, और सिख 1.72% थे। हिंदू 96.62 करोड़, मुस्लिम 17.22 करोड़, ईसाई 2.78 करोड़, और सिख 2.08 करोड़ थे। इस प्रकार, हिंदू और मुस्लिम आबादी के बीच 79.40 करोड़ का अंतर था।

मुसलमानों के हिंदुओं से आगे निकलने की संभावना
पूर्व चुनाव आयुक्त एस. वाई. क़ुरैशी ने अपनी किताब ‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फ़ैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में कहा है कि भारत में मुसलमानों की आबादी कभी भी हिंदुओं से ज़्यादा नहीं हो सकती। किताब में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह और प्रोफेसर अजय कुमार के गणितीय मॉडल के माध्यम से यह समझाया गया है। जनगणना हर दस साल में होती है, और इस हिसाब से 2021 में होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका।

बहुपद वृद्धि और घातांकीय वृद्धि
बहुपद वृद्धि मॉडल के अनुसार, 1951 में 30.36 करोड़ हिंदू थे और 2021 तक यह संख्या 115.9 करोड़ होने का अनुमान था। वहीं, 1951 में मुसलमानों की आबादी 3.58 करोड़ थी, जो 2021 में 21.3 करोड़ होने का अनुमान था। घातीय मॉडल में हिंदुओं की संख्या 120.6 करोड़ और मुसलमानों की संख्या 22.6 करोड़ होने का अनुमान था। कोई भी मॉडल यह नहीं दिखाता कि मुस्लिम आबादी कभी हिंदुओं के बराबर आएगी।

इस सदी के अंत तक मुस्लिम आबादी:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर पीएम कुलकर्णी ने सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार कहा था कि उच्च प्रजनन दर के बावजूद, इस सदी के अंत तक मुस्लिम आबादी केवल 18-20% तक पहुंच सकती है। प्यू रिसर्च के मुताबिक, भारत में मुस्लिम महिलाएं हिंदू महिलाओं की तुलना में अधिक बच्चों को जन्म देती हैं। हालांकि, 2015 में उनकी प्रजनन दर गिरकर 2.6 हो गई, फिर भी यह देश के अन्य धर्मों की तुलना में सबसे अधिक है।

1992 में एक मुस्लिम महिला औसतन 4.4 बच्चों को जन्म देती थी, जो 2015 में घटकर 2.6 हो गई। वहीं, हिंदुओं में यह दर 3.3 से घटकर 2.1 हो गई। 23 वर्षों में, दोनों धर्मों के बीच प्रजनन दर का अंतर 1.1 से घटकर 0.5 हो गया। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, 100 साल या 1000 साल में भी मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से अधिक होने की संभावना नहीं है।