इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री हैं। देश में जब भी आयरन लेडी का जिक्र किया जाता है जहन में उन्ही का नाम आता है। कहा यहां तक जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें दुर्गा का दर्जा दिया था। दरअसल आज यानी 19 नवंबर 1917 को इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था। पिता जवाहरलाल नेहरू और दादा मोतीलाल नेहरू उस वक्त स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ रहे थे। दादा ने ही इंदिरा गांधी को उनका नाम दिया जो आगे चलकर आयरन लेडी के नाम से मशहूर हुआ।
उन्होंने भारत की राजनीति में ही नहीं बल्कि वैश्विक मंच पर भी अलग छाप छोड़ी। वह लगातार 3 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं। चौथी बार 1980 से 1984 तक फिर पीएम पद पर रहीं। इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं। इंदिरा वह प्रधानमंत्री हैं, जिनके शासनकाल में 1971 का युद्ध हुआ और पाकिस्तान के दो टुकड़े व बांग्लादेश नया देश बना।
पाकिस्तान की आजादी में इंदिरा की भूमिका
इसमें कोई शक नहीं है कि इंदिरा गांधी कड़े फैसलों को लेने से कभी पीछे नहीं हटती थीं। बांग्लादेश उनकी ही बदौलत आज एक आजाद मुल्क की हैसियत रखता है। इंदिरा गांधी ने ही वहां पर अपनी सेना भेजने का फैसला लिया था और इसका अंत 80 हजार पाकिस्तान सैनिकों की आत्म समर्पण और बांग्लादेश की आजादी से हुआ था।
उनकी बदौलत बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी के कई साहसिक फैसलों में से एक और बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना था। देश जब अर्थिक तंगियों से जूझ रहा था, उस दौर में इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने का फैसला लिया। 19 जुलाई 1969 को इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण का आदेश दिया। इस दिन 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। दरअसल इन बैंकों पर बड़े-बड़े औद्योगिक घराने का कब्जा था। दूसरी बार साल 1980 में 7 अन्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
भारत में परमाणु शक्ति का निर्माण
इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार के वक्त ही भारत परमाणु शक्ति का निर्माण हुआ था। साल 1974 में पोखरण में देश के पहले परमाणु परीक्षण की अनुमति दी गई। इस दौरान मिली सफलता ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया। इसके बाद भारत की ताकत पूरी दुनिया ने देखी थी। इन साहसिक फैसलों के कारण ही गूंगी गुड़िया कही जाने वाली इंदिरा गांधी आयरन लेडी के रूप में मशहूर हो गईं।
भारत का वो काला दिन
इंदिरा गांधी द्वारा जीवन के कुछ फैसलों में एक फैसला भारत में आपातकाल लगाने का भी था। साल 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया जो लोकतंत्र पर एक धब्बा बनकर रह गया। इस कारण इंदिरा गांधी को आज भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
वहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत स्वर्ण मंदिर में आतंकियों के खिलाफ लिए गए एक्शन से सिख समुदाय की भावना आहत हुई थी और ऐसा संदेश सिखों में गया कि इंदिरा गांधी ने सिखों के सबसे पवित्र स्थल का अपमान किया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
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