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Wednesday, May 7   2:10:15

कौन थी नाक काटी रानी जिसने मुग़लों की नाक काटकर की थी बेइज़्ज़ती

मुग़लों ने भारत के कई सारे राज्यों पर अपना शासन जमा रखा था। साथी ही उन्होनें भारत के लोगों पर अत्याचार भी किए थे। यहाँ के लोगों ने उनसे लड़ाई तो की लेकिन फिर भी मुग़ल जीत गए। हालांकि यह कहानी का सिर्फ एक पहलु है। दूसरा पहलु कुछ और ही है। आधे से ज़्यादा भारत पर कब्ज़ा करने के बाद भी ऐसे कुछ राज्य थे जिनको मुग़ल कभी अपने कब्ज़े में नहीं कर पाए। उन्ही राज्यों में से एक था उत्तराखंड का गढ़वाल राज्य।

राजस्थान के मेवाड़ की तरह, वर्तमान उत्तराखंड में गढ़वाल साम्राज्य उन राज्यों में से एक है जिन्होंने आक्रमणकारियों का विरोध किया और सैन्य शक्ति के माध्यम से अपनी संप्रभुता बनाए रखी। उस समय आगरा में शाहजहां को राजा घोषित कर दिया गया था। उस उत्सव की ख़ुशी मनाने के लिए सभी राज्यों को न्योता भेजा गया था। लेकिन गढ़वाल के राजा महपति ने यह न्योता ठुकरा दिया था।

जैसे ही इस बात की खबर शाहजहां तक पहुंची तो वह गुस्से से तिलमिला गया और गढ़वाल को अपने कब्ज़े में लेने का फैसला किया। उस वक़्त गढ़वाल में सोने की खदान पाए जाते थे। शाहजहां ने गढ़वाल राज्य में सोने की खदानों की कहानियाँ सुनी थीं, तो इस वजह से भी उसने गढ़वाल को अपने कब्ज़े में लेने का फैसला किया था।

युद्ध छिड़ा और चलता ही गया। इस बीच राजा बीमार पड़ गए थे। और फिर उनकी अकाल मृत्यु हो गई। उस वक़्त उनका बेटा महज़ 7 वर्ष का था। तो लाज़िम है कि पूरे राज्य को सँभालने की ज़िम्मेदारी अब उनकी बीवी रानी कर्णावती पर आ गई थी। और रानी ने अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई। राजा की मौत के बाद मुग़लों को लगा कि अब इस राज्य पर कब्ज़ा आसानी से हो पाएगा। लेकिन इनकी यह ग़लतफहमी भी जल्द ही दूर हो गई।

शाहजहां ने एक दिन अपनी 30,000 की सेना को जनरल नजाबत खान के नेतृत्व में गढ़वाल पर हमला करने के लिए भेजा। जैसे ही रानी को पता चला कि वह लोग यहां आ रहे हैं, तो उसने ख़ुशी-ख़ुशी उनको अंदर आने दिया। लेकिन यह रानी की एक चाल थी।

रानी ने नजाबत खान की सेना को आगे बढ़ने और कुछ दूरी तक पहाड़ों में घुसने की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद उन्होंने उनके आने के रास्ते को बंद कर दिया। ऐसा करने से वह वापस नहीं जा सकते थे और पहाड़ी इलाके को अच्छी तरह से नहीं जानते थे कि जल्दी से आगे बढ़ सकें। यानी अब वह जाल में फस चुके थे।

अपनी सेना को ऐसे लाचार हालत में देखकर जनरल ने शांति की मांग की। रानी के पास अच्छा मौका था कि वह सबको मार सके। लेकिन रानी ने जनरल से कुछ ऐसा करने को कहा जिससे उनके होश उड़ गए। उसने नजाबत खान को अपने सारे सैनिकों की नाक काटने का हुकुम दिया था। अगर वह अपनी नाक काटकर उसके टुकड़े पीछे छोड़ देते हैं, तो ही वह उन्हें ज़िंदा वापस जाने देगी।

जनरल के पास कोई दूजा रास्ता नहीं था। और इसलिए उसे रानी की बात माननी पड़ी। एक ही झटके में सभी सैनिकों की और उसकी खुदकी नाक कटकर नीचे गिर गई। और साथ ही उनकी इज़्ज़त भी। हमारी संस्कृति में नाक कटने का मतलब होता है बेइज़्ज़ती होना। और रानी भी उनकी नाक काटकर शाहजहां को यह संदेश भिजवाना चाहती थी।

और इसी घटना के बाद रानी कर्णावती को नाक काटी रानी के नाम से जाने जाना लगा। शाहजहां ने एक बार फिर कोशिश की थी इसपर कब्ज़ा करने की, लेकिन दुबारा से उसे ऐसी ही दर्दनाक हार झेलनी पड़ी। और 1947 तक गढ़वाल एक स्वतंत्र साम्राज्य बना रहा।